भारत का संविधान/पंचम अनुसूची
[१]पंचम अनुसूची
[अनुछेद २४४ (१)]
अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित प्रादिमजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के संबंध में उपबंध
भाग क
साधारण
[२]१. निवर्चन.-इस अनुसूची में , जब तक कि प्रसंग से दूसरा अर्थ अपेक्षित न हो "राज्य" पद के अन्तर्गत आसाम राज्य नहीं है।
२. अनुसूचित क्षेत्रों में राज्य की कार्यपालिका शक्ति--इस अनमूची के उपबन्धों के अधीन रहते हुये किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उस में के अनुसूचित क्षेत्रों पर होगा।
३. अनुचित क्षेत्रों के प्रशासन के बार में राष्टपति को राज्यपाल [३]***द्वारा प्रतिवेदन—प्रत्येक राज्य का राज्यपाल [३]*** जिस में अनुसूचित जाति, नाज राष्टपति इस प्रकार की अपेक्षा करे, उम राज्य में के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में राष्ट्राति का प्रतिवेदन करेगा तथा संध की कार्यपालिका शक्ति राज्य का उक्त क्षेत्राे के प्रशासन के विषय मे निदेश देने तक विस्तृत होगी।
भाग ख
'अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित आदिमजातियों का प्रशासन और नियंत्रण
४. आदिम जाति-मंत्रणा-परिषद-(१) प्रत्येक राज्य में, जिस मे अनुसूचित क्षेत्र है, तथा यदि राट्रपति ऐसा निदेश दे तो किसी ऐसे राज्य में भी, जिग में अनुसूचित आदिमजातियां है किन्तु अनसूचित क्षेत्र नही है, एक आदिमजाति-मंत्रणा-परिषद् स्थापित की जायेगी जिसके बीस से अधिक सदस्य न होंगे जिन में कि यथाशक्य निकटतम तीन चौथाई उस राज्य की विधान-सभा में के अनुसूचित आदिमजातियों के प्रतिनिधि होंगे:
परन्तु यदि उम राज्य की विधान-सभा में के अनुसूचित आदिमजातियों के प्रतिनिधियों की संख्या आदिमजाति-मंत्रणा-परिषद् में ऐसे प्रतिनिधियों द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की संख्या से कम है तो शेष स्थान उन आदिमजातियों के अन्य सदस्यों द्वारा भरे जायेंगे।
(२) आदिमजाति-मंत्रणा-परिषद् का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य में की अनुसूचिन आदिमजातियों के कल्याण और उन्नति से संबद्ध ऐसे विषयों पर मंत्रणा दे जो उन को [४][राज्यपाल] द्वारा सौंपे जायें।
(३) राज्यपाल [३]***—
- (क) परिषद् के सदस्यों की संख्या, उन की नियुक्ति की तथा परिषद् के सभापति तथा उस के पदाधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति की रीति के;
पंचम अनुसूची
- (ख) उसके अधिवेशनों के संचालन तथा उसकी साधारण प्रक्रिया के, तथा
- (ग) अन्य सब प्रासंगिक विषयों के।
यथास्थिति विहित करने या विनियमन करने के लिये नियम बना सकेगा।
(१) ५. अनुसूचित क्षेत्रों में लागू विधि.—[५]इस संविधान में किसी बात के होते हुये भी [५][राज्यपाल] लोक-अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि संसद् का या उस राज्य के विधानमंडल का कोई विशेष अधिनियम उस राज्य में के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग में लागू न होगा अथवा राज्य में के अनुसूचित क्षेत्र या उस के किसी भाग में ऐसे अपवादों और रूपभेदों के साथ लागू होगा जैसा कि वह अधिसूचना में उल्लिखित करे और इस उपकंडिका के अधीन दिया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकेगा कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो।
(२) [५][राज्यपाल] राज्य में के किसी ऐसे क्षेत्र की शान्ति और सुशासन के लिये विनियम बना सकेगा जो कि तत्समय अनुसूचित क्षेत्र है।
विशेषतया तथा पूर्ववर्ती शक्ति की व्यापकता पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले ऐसे विनियम—
- (क) ऐसे क्षेत्र में की अनुसूचित आदिमजातियों के सदस्यों द्वारा या में भूमि के हस्तान्तरण का प्रतिषेध या निर्बन्धन कर सकेंगे;
- (ख) ऐसे क्षेत्र में की आदिमजातियों के सदस्यों को भूमि बांटने का विनियमन कर सकेंगे;
- (ग) ऐसे व्यक्तियों के द्वारा, जो ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित आदिमजातियों के सदस्यों को धन उधार देते हैं, साहूकार के रूप में कारबार करने का विनियमन कर सकेंगे।
(३) ऐसे किसी विनियम को बनाने में, जैसा कि इस कंडिका की उपकंडिका (२) में निर्दिष्ट है राज्यपाल [६]* * * संसद् के या उस राज्य के विधानमंडल के अधिनियम को अथवा किसी वर्तमान विधि को, जो प्रश्नास्पद क्षेत्र में तत्समय लागू है, निरसित या संशोधित कर सकेगा।
(४) इस कंडिका के अधीन बनाये गये सब विनियम तुरन्त राष्ट्रपति को प्रेषित किये जायेंगे और जब तक वह उनको अनुमति न दे दे तब तक उनका कोई प्रभाव न होगा।
(५) इस कंडिका के अधीन कोई विनियम तब तक न बनाया जायेगा जब तक कि विनियम बनाने वाले राज्यपाल [७]* * * ने उस राज्य के लिये आदिमजाति-मंत्रणा-परिषद् होने की अवस्था में ऐसी परिषद् से परामर्श न कर लिया हो ।
भाग ग
अनुसूचित क्षेत्र
६. अनुसूचित क्षेत्र.—(१) इस संविधान में “अनुसूचित क्षेत्रों "पदावलि से अभिप्रेत है ऐसे क्षेत्र जिन्हें राष्ट्रपति [८]आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र होना घोषित करे ।
पंचम अनुसची
- (२) राष्ट्रपति किसी समय भी आदेश द्वारा—
- (क) निर्देश दे सकेगा कि कोई सम्पूर्ण अनुसूचित क्षेत्र या उस का कोई उल्लिखित भाग अनुसूचित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र का भाग न रहेगा;
- (ख) किसी अनुसूचित क्षेत्र को बदल सकेगा, किन्तु केवल सीमाओं का शोधन कर के ही बदल सकेगा;
- (ग) किसी राज्य की सीमाओं के किसी परिवर्तन पर अथवा संघ में किसी नये राज्य के प्रवेश पर अथवा नये राज्य की स्थापना पर ऐसे किमी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र या उसका भाग घोषित कर सकेगा जो पहिले से किसी राज्य में समाविष्ट नहीं है;
तथा ऐसे किसी प्रादेश में ऐसे प्रासंगिक और आनुषंगिक उपबन्ध हो सकेंगे जैसे कि राष्ट्रपति को ग्रावश्यक और उचित प्रतीत हों, किन्तु उपर्युक्त रीति से अन्यथा इस कंडिका की उपकंडिका (१) के अधीन निकाला गया आदेश किसी अनुगामी आदेश से परिवर्तित नहीं किया जायेगा।
भाग घ
अनुसूची का संशोधन
७. अनुसूची का संशोधन.—(१) संसद्, समय समय पर, निधि द्वारा जोड़, फेरफार या निरसन कर के, इस अनुसूची के उपबन्धों में से किसी का संशोधन कर सकेगी तथा जब अनुसूची इस प्रकार संशोधित हो जाये तब इस संविधान में इस अनुसूची के प्रति किसी निर्देश का अर्थ ऐसा किया जायेगा कि मानो वह निर्देश इस प्रकार संशोधित ऐसी अनुसूची के प्रति है।
(२) ऐसी कोई विधि, जैसी कि इस कंडिका की उपकंडिका (१) में वर्णित है, इस संविधान के अनुच्छेद ३६८ के प्रयोजनों के लिये इग संविधान का संशोधन नहीं समझी जायेगी।
- ↑ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगी।
- ↑ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा मूल कंडिका के स्थान पर रखी गयी।
- ↑ ३.० ३.१ ३.२ "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।,
- ↑ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा “यथास्थिनिया राज्यपाल या राजप्रमुख "के स्थान पर रखा गया।
- ↑ ५.० ५.१ ५.२ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २८ ओर अनुसूची द्वारा "यथास्थिति राज्यपाल या राजप्रमुख" के स्थान पर रखे गये।,
- ↑ "या राज प्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
- ↑ "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही मुक्त कर दिये गये।
- ↑ देखिये (१) विधि मंत्रालय आदेश संख्या सी० ओ० ९ तारीख २६ जनवरी, १९५० भारत सरकार का असाधारण गजट पृष्ठ ६७० के साथ प्रकाशित अनुसूचित क्षेत्र [भाग (क) राज्य] आदेश १९५०.
- (२) विधि मंत्रालय अधिसूचना संख्या सी० ओ० २६ तारीख ७ दिसम्बर, १९५० भारत का असाधारण गजट भाग २ अनुभाग ३, पृष्ठ ६७५ के साथ प्रकाशित अनुसूचित क्षेत्र [भाग (ख) राज्य] आदेश १९५०।