भारत का संविधान/भाग १६

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भारत का संविधान  (1957) 
अनुवादक
राजेन्द्र प्रसाद

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भाग १६
कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध

अनुसूचित जातियों
और अनुसूचित
आदिमजातियों के
लिये लोक-सभा में
स्थानों का रक्षण
[१]३३०. (१) लोक-सभा में—

(क) अनुसूचित जातियों के लिये,
(ख) आसाम के आदिमजाति-क्षेत्रों में की अनुसूचित आदिमजातियों को छोड़ कर आदिमजातियों के लिये,
(ग) आसाम के स्वायत्तशासी जिलों में की अनुसूचित आदिमजातियों लिये, स्थान रक्षित रहेंगे।

(२) खंड (१) के अधीन अनुसूचित जातियों वा अनुसूचित आदिमजातियों के लिये किसी राज्य [२][या संघ राज्यक्षेत्र] में रक्षित रखे गये स्थानों की संख्या का अनुपात लोकसभा में उस राज्य [२][या संघ राज्यक्षेत्र] को बाद में दिये गये स्थानों की समस्त संख्या से यथाशक्ति वही होगा जो यथास्थिति उस [२][राज्य या संघ राज्यक्षेत्र] में की अनुसूचित जातियों को अथवा उस राज्य [२][या संघ राज्य क्षेत्र में की या उस राज्य [२][या संघ राज्यक्षेत्र] के भाग में की अनुसूचित आदीमजातियों को, जिन के सम्बन्ध में स्थान इस प्रकार रक्षित हैं, जनसंख्या का अनुपात उस राज्य [२][या संघ राज्यक्षेत्र] की समस्त जनसंख्या से है।

लोक-सभा में आंग्ल-
भारतीय समुदाय
का प्रतिनिधित्व

[३]३३१. अनुच्छेद ८१ में किसी बात के होते हुये भी यदि राष्ट्रपति की राय हो कि लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह लोकसभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य नाम-निर्देशित कर सकेगा।

राज्यों की विधान
सभाओं में अनु-
सूचित जातियों और
अनुसूचित आदिम-
जातियों के लिये
स्थानों का रक्षण

[३]३३२. (१) [४]* * * प्रत्येक राज्य की विधान-सभा में अनुसूचित सूचित जातियों के लिये तथा आसाम के आदिमजाति-क्षेत्रों में की अनुसूचित आदिम जातियों को छोड़ कर अन्य आदिमजातियों के लिये स्थान रक्षित रहेंगे।

(२) आसाम राज्य की विधान-सभा में स्वायत्तशासी जिलों के लिये भी स्थान रक्षित रहेंगे।

(३) खंड (१) के अधीन किसी राज्य की विधान-सभा में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित आदिमजातियों के लिये रक्षित स्थानों को संस्था का अनुपात उस सभा में के स्थानों की समस्त संख्या से यथाशक्य वही होगा जो यथास्थिति उस राज्य में को अनुसूचित जातियों को अथवा उस राज्य में को या उस राज्य के भाग में की अनुसूचित आदिमजातियों की, जिन के सम्बन्ध में स्थान इस प्रकार रक्षित है, जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की समस्त जनसंख्या से है।

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भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध—
अनु॰ ३३२—३३५

(४) आसाम राज्य की विधान-सभा में किसी स्वायत्तशासी जिले के लिये रक्षित स्थानों की संख्या का उस सभा में स्थानों की समस्त संख्या से अनुपात उस अनुपात से कम न होगा जो कि उस जिले की जनसंख्या का उस राज्य की समस्त जनसंख्या से है।

(५) शिलौंग के कटक और नगर-क्षेत्र से मिल कर बने हुए निर्वाचन-क्षेत्र को छोड़ कर आसाम राज्य के किसी स्वायत्तशासी जिले के लिये रक्षित स्थानों के निर्वाचन-क्षेत्रों में उस जिले के बाहर का कोई क्षेत्र समाविष्ट न होगा।

(६) कोई व्यक्ति, जो आसाम राज्य के किसी स्वायत्तशासी जिले में की अनसूचित आदिमजाति का सदस्य नहीं है, उस राज्य की विधान-सभा के लिये शिलौंग के कटक और नगर-क्षेत्र से मिल कर बने हुए निर्वाचन-क्षेत्र को छोड़ कर उस जिले के किसी निर्वाचन-क्षेत्र से निर्वाचित होने का पात्र न होगा।

राज्यों की विधान-
सभाओं में आंग्ल-
भारतीय समुदाय
का प्रतिनिधित्व
[५]३३३. अनुच्छेद १७० में किसी बात के होते हुए भी यदि किसी राज्य के राज्यपाल [६]* * की राय हो कि उस राज्य की विधान-सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व आवश्यक है और पर्याप्त नहीं है तो उस विधान-सभा में उस समुदाय के जितने सदस्य वह समुचित समझे नाम-निर्देशित कर सकेगा।

 

स्थानों का रक्षण
और विशेष
प्रतिनिधित्व
संविधान के प्रारम्भ
से दस वर्ष के
पश्चात् न रहेगा
[७]३३४. इस भाग के पूर्ववर्ती उपबन्धों में किसी बात के होते हुए भी—

(क) लोक-सभा में और राज्यों की विधान-सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये स्थानों के रक्षण सम्बन्धी, तथा
(ख) लोक-सभा में और राज्यों की विधान-सभाओं में नाम-निर्देशन द्वारा आंग्ल-भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व सम्बन्धी,

इस संविधान के उपबन्ध, इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष की कालावधि की समाप्ति पर प्रभावी न रहेंगे :

परन्तु इस अनुच्छेद की किसी बात से लोक-सभा के या राज्य की विधानसभा के किसी प्रतिनिधित्व पर तब तक कोई प्रभाव न होगा जब तक कि यथास्थिति उस समय विद्यमान लोक-सभा या विधान-सभा का विघटन न हो जाये।

सेवाओं और पदों
के लिये अनुसूचित
जातियों और
अनुसूचित आदिम-
जातियों के दावे
[७]३३५. संघ या राज्य के कार्यों से संसक्त सेवाओं और पदों के लिये नियुक्तियां करने में प्रशासन कार्यपटुता बनाये रखने की संगति के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के सदस्यों के दावों का ध्यान रखा जायेगा।

 
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भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध
अनु॰ ३३६—३३८

कतिपय सेवाओं में
आंग्ल-भारतीय
समुदाय के लिये
विशेष उपबन्ध
[८]३३६. (१) इस संविधान के प्रारम्भ के पश्चात् प्रथम दो वर्षों में संघ की रेल, सीमाशुल्क, डाक तथा तार सम्बन्धी सेवाओं के पदों के लिये आंग्ल-भारतीय समुदाय के जनों की नियुक्तियां १५ अगस्त १९४७ ई॰ के तुरन्त पूर्व वाले आधार पर की जायेंगी।

प्रत्येक अनुवर्ती दो वर्षों की कालावधि में उक्त समुदाय के जनों के लिये, उक्त सेवाओं में, रक्षित पदों की संख्या निकट पूर्ववर्ती दो वर्षों की कालावधि में इस प्रकार रक्षित संख्या से यथासम्भव दस प्रतिशत कम होगी :

परन्तु इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष के अन्त में ऐसे सब रक्षणों का अन्त हो जाएगा।

(२) यदि आंग्ल-भारतीय समुदाय के जन अन्य समुदायों के जनों की तुलना में कुशलता के कारण नियुक्ति के लिये अर्ह पाये जायें तो खंड (१) के अधीन उस समुदाय के लिये रक्षित पदों से अन्य, अथवा उन से अधिक, पदों पर आंग्ल-भारतीय समुदाय के जनों की नियुक्ति में उस खंड की किसी बात से रुकावट न होगी।

आंग्ल-भारतीय
समुदाय के फायदे
के लिये शिक्षण
अनुदान के लिये
विशेष उपबन्ध
[८]३३७. इस संविधान के प्रारम्भ के पश्चात् पहिले तीन वित्तीय वर्षों में आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिये शिक्षा के सम्बन्ध में यदि कोई अनुदान रहे हों तो वही अनुदान संघ तथा [९]* * * प्रत्येक राज्य द्वारा दिये जायेंगे जो ३१ मार्च, १९४८ ई॰ को अन्त होने वाले वित्तीय वर्ष में दिये गये थे।

प्रत्येक अनुवर्ती तीन वर्ष की कालावधि में, अनुदान निकट पूर्ववर्ती तीन वर्ष की कालावधि की अपेक्षा दस प्रतिशत कम किये जा सकेंगे :

परन्तु इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष के अन्त में ऐसे अनुदान, जिस मात्रा तक वे आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिये विशेष रियायत हैं, उस मात्रा तक अन्त हो जायेंगे :

परन्तु यह और भी कि इस अनुच्छेद के अनुसार किसी शिक्षासंस्था को अनुदान पाने का तब तक हक्क न होगा जब तक कि उसके वार्षिक प्रवेशों में कम से कम चालीस प्रतिशत प्रवेश आंग्ल-भारतीय समुदाय से भिन्न दूसरे समुदायों के जनों के लिये प्राप्य न किये गये हों।

अनुसूचित जातियों
अनुसूचित आदिम-
जातियों इत्यादि के
लिये विशेष
पदाधिकारी
३३८. (१) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये एक विशेष पदाधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा

(२) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये इस संविधान के अधीन उपबन्धित परित्राणों से सम्बद्ध सब विषयों का अनुसंधान करना तथा उन परित्राणों पर कार्य होने के सम्बन्ध में ऐसी अन्तराविधियों में, जैसी कि राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देना विशेष पदाधिकारी का कर्तव्य होगा तथा राष्ट्रपति ऐसे सब प्रतिवेदनों को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा। [ १२६ ] 

भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध—
अनु॰ ३३८—३४०

(३) इस अनुच्छेद में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के प्रति निर्देश के अन्तर्गत ऐसे अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति निर्देश, जिन को कि राष्ट्रपति इस संविधान के अनुच्छेद ३४० के खंड (१) के अधीन नियुक्त आयोग के प्रतिवेदन की प्राप्ति पर आदेश द्वारा उल्लिखित करे, तथा आंग्ल-भारतीय समाज के प्रति निर्देश भी हैं।

अनुसूचित क्षेत्रों के
प्रशासन पर तथा
अनुसूचित आदिम-
जातियों के कल्याणार्थ
संघ का नियंत्रण
[१०]३३९. (१) [११]* * * राज्यों में के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित आदिमजातियों के कल्याण के बारे में प्रतिवेदन देने के लिये आयोग की नियुक्ति आदेश द्वारा राष्ट्रपति किसी समय कर सकेगा तथा इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति पर करेगा।

आयोग की रचना, शक्तियों और प्रक्रिया की परिभाषा आदेश में की जा सकेगी तथा उस में वे प्रासंगिक और सहायक उपबन्ध भी हो सकेंगे जिन्हें राष्ट्रपति आवश्यक या वांछनीय समझे।

(२) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार [१२][किसी राज्य] को उस प्रकार के निदेश देने तक होगा जो उस राज्य की अनुसूचित आदिमजातियों के कल्याण के लिये निर्देश में परमावश्यक बताई हुई योजनाओं के बनाने और कार्यान्वित करने से सम्बन्ध रखते हों।

पिछड़े हुए वर्गों
की दशाओं के
अनुसंधान के लिये
आयोग की नियुक्ति
३४०. (१) भारत राज्य-क्षेत्र में सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुये वर्गों की दशाओं के तथा जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उन के अनुसंधान के लिये तथा संघ या किसी राज्य द्वारा उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिये करने योग्य उपायों के बारे में, तथा उस प्रयोजन के लिये संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान दिये जाने चाहियें तथा जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान दिये जाने चाहियें उन के बारे में, सिपारिश करने के लिये राष्ट्रपति, आदेश द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को मिला कर, जैसे वह उचित समझे, आयोग बना सकेगा तथा आयोग नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरणीय प्रक्रिया भी परिभाषित होगी।

(२) इस प्रकार नियुक्त आयोग अपने को सौंपे हुए विषयों का अनुसन्धान करेगा और राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा, जिस में पाये गये तथ्यों का समावेश होगा तथा जिस में ऐसी सिपारिशें की जायेंगी जिन्हें आयोग उचित समझे।

(३) राष्ट्रपति, इस प्रकार दिये गये प्रतिवेदन की एक प्रतिलिपि, उस पर की गई कार्यवाही के संक्षिप्त ज्ञापन सहित, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा। [ १२७ ]

भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध—
अनु॰ ३४१—३४२

अनुसूचित जातियां३४१. (१) राष्ट्रपति, [१३][किसी राज्य [१४][या संघ राज्यक्षेत्र] के सम्बन्ध में और जहां वह [१५]* * * कोई राज्य है उसके राज्यपाल [१६]* * * से परामर्श करने के पश्चात] लोक-अधिसूचना[१७] द्वारा उन जातियों, मूलवंशों या आदिमजातियों अथवा जातियों, मूलवंशों या आदिमजातियों के भागों या उनमें के यूथों का उल्लेख कर सकेगा, जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिये [१८][यथास्थिति उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र] के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियां समझी जायेंगी।

(२) संसद् विधि द्वारा किसी जाति, मूलवंश या आदिमजाति को अथवा किसी जाति, मूलवंश या आदिमजाति के भाग या उसमें के यूथ को खंड (१) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में उल्लिखित अनुसूचित जातियों की सूची के अन्तर्गत या से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु उपर्युक्त रीति को छोड़ कर अन्यथा उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना को किसी अनुवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तित नहीं किया जायेगा।

अनुसूचित आदिम
जातियां
[१९]३४२. (१) राष्ट्रपति [१४][किसी राज्य [१५][या संघ राज्यक्षेत्र] के सम्बन्ध में और जहां वह [१५]* * * कोई राज्य है उसके राज्यपाल [१६]* * * से परामर्श करने के पश्चात्] लोक अधिसूचना[१७] द्वारा उन आदिमजातियों या आदिमजाति समदायों अथवा आदिमजातियों या आदिमजाति समुदायों के भागों या उनमें के यूथों का उल्लेख कर सकेगा जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिये [१८][यथास्थिति उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र] के सम्बन्ध में अनुसूचित आदिमजातियां समझी जायेंगी।

(२) संसद् विधि द्वारा किसी आदिमजाति या आदिमजाति समुदाय को, अथवा आदिमजाति या आदिमजाति समुदाय के भाग या उसमें के यूथ को, खंड (१) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में उल्लिखित अनुसूचित आदिमजातियों की सूची के अन्तर्गत, या से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु उपर्युक्त रीति को छोड़कर अन्यथा उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना को किसी अनुवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तित नहीं किया जायेगा।

  1. जम्मू और कश्मीर को लागू होने में अनुच्छेद ३३० में, "अनुसूचित आदिमजातियों" के प्रति निर्देश लुप्त कर दिये जाएंगे।
  2. २.० २.१ २.२ २.३ २.४ २.५ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा अन्तःस्थापित।,
  3. ३.० ३.१ अनुच्छेद ३३१ और ३३२ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होंगे।,
  4. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  5. अनुच्छेद ३३३ जम्मू और काश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  6. "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  7. ७.० ७.१ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद ३३४ और ३३५ में राज्य या राज्यों के प्रति निर्देशों का ऐसे अर्थ किया जाएगा मानो कि उनके अन्तर्गत जम्मू और कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है।,
  8. ८.० ८.१ अनुच्छेद ३३६ और अनुच्छेद ३३७ जम्मू और काश्मीर राज्य को लागू न होंगे।,
  9. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  10. अनुच्छेद ३३९ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  11. "प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में उल्लिखित " शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  12. उपरोक्त के ही द्वारा "ऐसे किसी राज्य" के स्थान पर रखे गये।
  13. संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम १९५१, धारा १० या धारा ११ द्वारा "राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात्" शब्दों के स्थान पर रखे गये।
  14. १४.० १४.१ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा अन्तःस्थापित,
  15. १५.० १५.१ १५.२ "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।,
  16. १६.० १६.१ "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।,
  17. १७.० १७.१ "देखिये विधि मंत्रालय अधिसूचना संख्या सी॰ ओ॰ १९ तारीख १० अगस्त, १९५० भारत का असाधारण गजट भाग २ अनुभाग ३ पष्ठ १६३ द्वारा प्रकाशित संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश १९५०, और विधि मंत्रालय अधिसूचना संख्या सी॰ ओ॰ ३२ तारीख २० सितम्बर, १९५ भारत का गजट भाग २ अनुभाग ३ पृष्ठ ११९८ द्वारा प्रकाशित संविधान (अनुसूचित जातियां) (भाग ग राज्य) आदेश १९५१।,
  18. १८.० १८.१ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा "उस राज्य" के स्थान पर रखे गये।,
  19. अनुच्छेद ३४२ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।