भारत का संविधान/सप्तम अनुसूची

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भारत का संविधान  (1957) 
अनुवादक
राजेन्द्र प्रसाद

[ १७५ ] 

सप्तम अनुसूची
(अनुच्छेद २४६)
सूची १.—संघ-सूची

१. भारत की तथा उसके प्रत्येक भाग की प्रतिरक्षा जिसके अन्तर्गत प्रतिरक्षा के लिये तैयारी तथा सारे ऐसे कार्य भी हैं, जो युद्ध-काल में युद्ध को चलाने और उसकी समाप्ति के पश्चात् सफलता पूर्वक सैन्य-वियोजन में सहायक हों।

२. नौ, स्थल और विमान बल; संघ के कोई अन्य सशस्त्र बल।

[१]३. कटक-क्षेत्रों का परिसीमन, ऐसे क्षेत्रों में स्थानीय स्वायत्तशासन, ऐसे क्षेत्रों के अन्दर कटक-प्राधिकारियों का गठन और शक्तियां, तथा ऐसे क्षेत्रों में गृह-वासन का विनियमन (जिस के अन्तर्गत किराये का नियन्त्रण भी है)।

४. नौ, स्थल और विमान-बल की कर्मशालायें।

५. शस्त्रास्त्र, अग्न्यस्त्र, युद्धोपकरण और विस्फोटक।

६. अणुशक्ति तथा उसके उत्पादन के लिये आवश्यक खनिज सम्पत्।

७. संसद-निर्मित विधि द्वारा प्रतिरक्षा के प्रयोजन के लिये अथवा युद्ध चलाने के लिये आवश्यक घोषित किये गये उद्योग।

[२]८. केन्द्रीय गुप्तवार्ता और अनुसंधान विभाग।

[२]९. भारत की प्रतिरक्षा, विदेशीय कार्य या सुरक्षा सम्बन्धी कारणों से निवारक निरोध; इस प्रकार निरुद्ध व्यक्ति।

१०. विदेशी कार्य; सब विषय जिनके द्वारा संघ का किसी विदेश, से सम्बन्ध होता है!

११. राजनयिक, वाणिज्य-दूतिक और व्यापारिक प्रतिनिधित्व।

१२. संयुक्त राष्ट्र-संघटन।

१३. अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, संस्थाओ और अन्य निकायों में भाग लेना तथा उनमें किये गये विनिश्चयों की अभिपूर्ति।

१४. विदेशों से संधि और करार करना तथा विदेशों से की गई संधियों, करारों और अभिममयों की अभिपूर्ति।

१५. युद्ध और शान्ति।

१६. विदेशीय क्षेत्राधिकार।

१७. नागरिकता, देशीयकरण तथा अन्यदेशीय।

१८. प्रत्यर्पण।

१९. भारत में प्रवेश और उसमें से उत्प्रवासन और निर्वागन; पार-पत्र और दृष्टांक। [ १७६ ]

सप्तम अनुसूची

२०. भारत के बाहर के स्थानों की तीर्थयात्राएं।

२१. महासमुद्र या वायु में की गई जलदस्युता और अपराध; स्थल या महासमुद्र या वायु में राष्ट्रों की विधि के विरुद्ध किये गये अपराध।

२२. रेल।

२३. राज-पथ जिन्हें संसद्-निर्मित विधि के द्वारा या अधीन राष्ट्रीय राज्य-पथ घोषित किया गया है।

२४. यंत्र-चालित जलयानों के विषय में ऐसे अन्तर्देशीय जल-पथों में नौ-वहन और नौ-परिवहन जो संसद्-निर्मित विधि द्वारा राष्ट्रीय जल-पथ घोषित किये गये हैं; तथा ऐसे जल-पथों के पथ-नियम।

२५. समद्र-नौवहन और नौ-परिवहन जिसके अन्तर्गत ज्वार-जल नौवहन और नौ-परिवहन भी हैं; वणिक-पोतीय शिक्षा और प्रशिक्षण के लिये उपबन्ध तथा राज्यों और अन्य अभिकरणों द्वारा दी जाने वाली ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण का विनियमन।

२६. प्रकाशस्तम्भ, जिन के अन्तर्गत प्रकाशपोत, आकाशदीप तथा नौवहन और विमानों की सुरक्षित-ता के लिये अन्य उपबन्ध भी हैं।

२७. वे पत्तन जिन को संसद्-निर्मित विधि या वर्तमान विधि के द्वाग या अधीन महा-पत्तन घोषित किया गया है, जिसके अन्तर्गत उनका परिसीमन तथा उनमें पत्तन-प्राधिकारियो का गठन और शक्तियां भी हैं।

२८. पत्तन-निरोधा, जिसके अन्तर्गत उस से सम्बद्ध चिकित्सालय भी हैं; नाविक और समुद्रीय चिकित्सालय।

२९. वायु-पथ; विमान और विमान-परिवहन, विमान-क्षेत्रों का उपबन्ध; विमान-यातायात और विमान-क्षेत्रों का विनियमन और संघटन; वैमानिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिये उपबन्ध तथा राज्यों और अन्य अभिकरणों द्वारा दी गई ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण का विनियमन।

३०. रेल-पथ, समुद्र या वायु से अथवा यंत्रचालित यानों में राष्ट्रीय जल-पथों से यात्रियों और वस्तुओं का वहन।

३१. डाक और तार; दूरभाष, बेतार, प्रसारण और अन्य समरूप संचार।

३२. संघ की सम्पत्ति और उससे उत्थित राजस्व किन्तु [३]* * * किसी राज्य में अवस्थित सम्पत्ति के विषय में, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबन्ध न करे वहां तक, उस राज्य के विधान के अधीन रहते हुए।

[४]***

[५]३४. देशी राज्यों के शासकों की सम्पत्ति के लिये प्रतिपालक-अधिकरण।

३५. संघ का लोक-ऋृण ।

३६. चलार्थ, टंकण और विधिमान्य; विदेशीय विनिमय। [ १७७ ]

सप्तम अनुसूची

३७. विदेशी ऋृण।

३८. भारत का रक्षित बैंक।

३९. डाकघर बचत बैंक।

४०. भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार द्वारा संघटित लाटरी।

४१. विदेशों के साथ व्यापार और वाणिज्य; शुल्क सीमान्नों को पार करने वाले आयात और निर्यात; शुल्क सीमान्तों की परिभाषा।

४२. अन्तर्राज्यिक व्यापार और वाणिज्य।

[६]४३. व्यापारिक निगमों का, जिन के अन्तर्गत महाजनी, बीमाई और वित्तीय निगम भी है किन्तु सहकारी संस्थाएं नहीं हैं, निगमन, विनियमन और समापन।

[७]४४. विश्वविद्यालयों को छोड़ कर ऐसे निगमों का, चाहे वे व्यापारिक हों या नही, जिन के उद्देश्य एक राज्य तक सीमित नहीं हैं, निगमैन, विनियमन और समापन।

४५. महाजनी।

४६. विनिमय-पत्र, चेक, वचन-पत्र तथा ऐमो अन्य लिखते।

४७. बीमा।

४८. श्रेष्ठी-चत्वर और वादा बाजार।

४९. एकस्व; आविष्कार और रूपांकन ; प्रतिलिप्यधिकार; व्यापार-चिन्ह और पण्य चिन्ह।

[७]५०. बाटों और मापों का मान स्थापन।

५१. भारत से बाहर निर्यात की जाने वाली अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य को भेजी जाने वाली वस्तुओं के गुणों का मान स्थापन।

[७]५२. वे उद्योग जिनके लिये संसद् ने विधि द्वारा घोषणा की है कि लोकहित के लिये उनपर संघ का नियन्त्रण इष्टकर है।

५३. तैल-क्षेत्रों और खनिज तेल सम्पत् का विनियमन और विकास; पैट्रोलियम और पैट्रोलियम उत्पाद; संसद् से विधि द्वारा भयानक रूप से ज्वालाग्रही घोषित अन्य तरल और द्रव्य।

५४. उस सीमा तक खानों का विनियमन और खनिजों का विकास जिस तक संघ के नियंत्रण में वैसे विनियमन और विकास को संसद् विधि द्वारा लोक-हित के लिये इष्टकर घोषित करे।

[७]५५. श्रम का विनियमन तथा खानों और तैल-क्षेत्रों में सुरक्षितता।

५६. उस सीमा तक अन्तर्राज्यिक नदियों और नदी-दूनों का विनियमन और विकास जिस तक संघ के नियन्त्रण में वैसे विनियमन और विकास को संसद् विधि द्वारा लोक-हित के लिये इष्टकर घोषित करे। [ १७८ ]

सप्तम अनुसूची

५७. जलप्रांगण से परे मछली पकड़ना और मीन-क्षेत्र।

५८. संघ अभिकरणों द्वारा लवण का निर्माण, सम्भरण और वितरण, अन्य अभिकरणों द्वारा लवण के निर्माण, सम्भरण और वितरण का विनियमन और नियंत्रण।

५९. अफीम की खेती, निर्माण तथा निर्यात के लिय विक्रय।

[७]६०. प्रदर्शन के लिये चल-चित्रों की मंजूरी।

६१. संघ के नौकरों ने संपृक्त औद्योगिक विवाद।

६२. इस संविधान के प्रारम्भ पर राष्ट्रीय पुस्तकालय, भारतीय संग्रहालय, साम्राज्यिक यद्ध-संग्रहालय विक्टोरिया-स्मारक, भारतीय युद्ध स्मारक नामों से ज्ञात संस्थाएं तथा भारत सरकार द्वारा पूर्णत: या अंशतः वित्त-पोषित तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय मंतव्य की घोषित ऐसी कोई अन्य तद्रूप संस्था।

६३. इस संविधान के प्रारम्भ पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय नामों से ज्ञात संस्थाएं तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व की घोषित कोई अन्य संस्था।

६४. भारत सरकार से पूर्णत: या अंशत: वित्त-पोषित तथा संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित वैज्ञानिक या शिल्पिक शिक्षा-संस्थाएं।

६५. संघ-अभिकरण और संस्थाएं जो—

(क) वृत्तिक, व्यावसायिक या शिल्पिक प्रशिक्षण, जिनके अन्तर्गत आरक्षी पदाधिकारियों का प्रशिक्षण भी है, के लिये है; अथवा
(ख) विशेष अध्ययनों की गवेषणा की उन्नति के लिये है; अथवा
(ग) अपराध के अनुसन्धान या पता चलाने में वैज्ञानिक या शिल्पिक सहायता के लिये है।

६६. उच्चतर शिक्षा या गवेषणा की संस्थाओं में तथा वैज्ञानिक और शिल्पिक संस्थाओं में एकसूत्रता लाना और मानों का निर्धारण।

[८]६७. [९][संसद् द्वारा निर्मित विधि के द्वारा या ग्रंथीत राष्ट्रीय महत्व के घोषित] प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और अभिलेख तथा पुरातत्वीय स्थान और अवशेष।

६८. भारतीय भूपरिमाप, भूतत्वीय, वानस्पतिक, नरतत्वीय, प्राणकीय परिमाप; अन्तरिक्ष-शास्त्रीय संस्थाएं।

[७]६९. जनगणना।

७०. संघ-लोकसेवाएं, अखिल भारतीय सेवाएं, संघ-लोक-सेवा-आयोग। [ १७९ ]

सप्तम अनुसूची

७१. संघ-निवृत्ति-वेतन, अर्थात् भारत सरकार द्वारा या भारत की संचित निधि में से दिये जाने वाले निवृत्ति-वेतन।

[१०]७२. संसद् और राज्यों के विधान मंडलों के लिये तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिये निर्वाचन; निर्वाचन-आयोग।

७३. संसद के सदस्यों, गज्य-सभा के सभापति और उपसभापति तथा लोक-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते।

७४. संसद के प्रत्येक सदन की तथा प्रत्येक सदन के सदम्यों और समितियों की शक्तिय विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ, संसद् की समितियों अथवा संसद द्वारा नियुक्त आयोगों के सामने साक्ष्य देने या दस्तावेज पेश करने के लिये व्यक्तियों की उपस्थिति बाध्य करना।

७५. राष्ट्रपति और राज्यपालों की उपलब्धियां, भत्ते, विशेषाधिकार तथा अनुपस्थिति-छुट्टी के बारे में अधिकार, संघ के मंत्रियों के वेतन और भत्ते, नियन्त्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन, भत्ते और अनुपस्थिति-छट्टी के बारे में अधिकार तथा अन्य सेवा शर्ते।

[१०]७६. संघ के और राज्यों के लेखाओं की लेखापरीक्षा।

७७. उच्चतमन्यायालय का गठन,संघटन, क्षेत्राधिकार और शक्तियां (जिस के अन्तर्गत उस न्यायालय का अवमान भी है) तथा उसमें ली जाने वाली फीसें; उच्चतमन्यायालय के सामने विधि-व्यवसाय करने का हक्क रखने वाले व्यक्ति।

[११]७८. उच्चन्यायालयों के पदाधिकारी और सेवकों के बारे के उपबन्धों को छोड़ कर उच्चन्यायालयों का गठन और संघटन; उच्चन्यायालयों के सामने विधि-व्यवसाय करने का हक्क रखने वाले व्यक्ति।

[१२]७९. [[११]किसी संघ राज्य-क्षेत्र में या से किसी उच्चन्यायालय के क्षेत्राधिकार का विस्तार अथवा किसी उच्चन्यायालय के क्षेत्राधिकार का अपवर्जन।]

८०. किसी राज्य के आरक्षी बल के सदस्यों की शक्तियां और क्षेत्राधिकार का उस राज्य में न होने वाले किसी क्षेत्र पर विस्तार, किन्तु इस प्रकार नहीं कि एक राज्य की आरक्षी, उस राज्य में न होने वाले किसी क्षेत्रमें बिना उस राज्य की सरकार की सम्मति के, जिसमें कि ऐसा क्षेत्र स्थित है, शक्तियां और क्षेत्राधि-कार का प्रयोग कर सके; किसी राज्य की आरक्षी बल के सदस्यों की शक्तियां और क्षेत्राधिकार का उस राज्य से बाहर रेल-क्षेत्रों पर विस्तार।

[१३]८१. अन्तर्राज्यीय प्रव्रजन; अन्तर्राज्यीय निरोधा।

८२. कृषि आय को छोड़ कर अन्य आय पर कर।

८३. सीमा शुल्क जिसके अन्तर्गत निर्यात-शुल्क भी है।

८४. भारत में निर्मित या उत्पादित तमाकू तथा—

(क) मानव उपभोग के मद्यसारिक पानों,
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सप्तम अनुसूची

(ख) अफीम, भांग और अन्य पिनक लाने वाली औषधियों तथा स्वापकों,.को छोड़ कर, किन्तु ऐसी औषधीय और प्रसाधनीय सामग्री को अन्तर्गत करके, जिनमें कि मद्यसार अथवा उक्त प्रविष्टि की उपकंडिका (ख) में का कोई पदार्थ अंतर्विष्ट हो, अन्य सब वस्तुओं पर उत्पादन शुल्क।

८५. निगम-कर।

८६. व्यक्तियों या समवायों की आस्ति में से कृषि-भूमि को छोड़ कर उसके मूलधन-मूल्य पर कर, समवायों के मूल-धन पर कर।

८७. कृषि-भूमि को छोड़ कर अन्य सम्पत्ति के बारे में सम्पत्ति-शुल्क।

८८. कृषि-भूमि को छोड़ कर अन्य सम्पत्ति के उत्तराधिकार के बारे में शुल्क।

८९. रेल या समुद्र या वायु से ले जाये जाने वाली वस्तुओं या यात्रियों पर सीमा-कर, रेल के जनभाड़े और वस्तु-भाड़े पर कर।

९०. मुद्रांक शुल्क को छोड़ कर श्रेष्ठि-चत्वर और वादा बाजार के सौंदों पर कर।

९१. विनिमय-पत्रों, चेकों, वचन-पत्रों, वहन-पत्रों, प्रत्यय-पत्रों, वीमा-पत्रों, अंशों के हस्तान्तरण, ऋृण-पत्रों, प्रति-पत्रियों और प्राप्तियों के संबंध में लगने वाले मुद्रांक-शुल्क की दर।

९२. समाचारपत्रों के क्रय या विक्रय पर तथा उनमें प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों पर कर।

[१४][९२क. समाचारपत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर उस सूरत में कर जिसमें कि ऐसा क्रय या विक्रय अन्तर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य की चर्या में हो,]

९३. इस सूची के विषयों मे से सम्बद्ध विधियों के विरुद्ध अपराध।

९४. इस सूची के विषयों में से किसी के प्रयोजनों के लिये जांच, परिभाषा और सांख्यकी।

९५. उच्चतमन्यायालय को छोड़ कर अन्य न्यायालयों के इस सूची में के विषयों में से किसी के संबंध में क्षेत्राधिकार और शक्तियां, नावधिकरण-क्षेत्राधिकार।

९६. किसी न्यायालय में लिये जाने वाली फीसों को छोड़ कर इस सूची में के विषयों में से किसी के बारे में फीस।

[१५]९७. सूची (२) या (३) में से किसी में अवणित किसी कर के सहित उन सूचियों में अप्रगणित कोई अन्य विषय।

सूची २—राज्यसूची

१. सार्वजनिक व्यवस्था (किन्तु असैनिक शक्ति की सहायता के लिये संघ के नौ, स्थल या विमान बलों के प्रयोग को अन्तर्गत न करते हुए)।

२. आरक्षी, जिसके अन्तर्गत रेल या और ग्राम आरक्षी भी है।

३. न्याय-प्रशासन, उच्चतमन्यायालय और उच्चन्यायालय को छोड़ कर सब न्यायालयों का गठन और संघठन, उच्चतमन्यायालय के पदाधिकारी और सेवक, भाटक और राजस्वन्यायालयों की प्रक्रिया, उच्चतमन्यायालय को छोड कर सब न्यायालयो मे ली जाने वाली फ़ीसें।

४. कारागार, सुधारालय, वोरस्टल मंस्थायें और तद्रूप अन्य संस्थायें और उनमें निरुद्ध व्यक्ति कारागारों और अन्य संस्थानों के उपयोग के लिये अन्य राज्यों से प्रबन्ध। [ १८१ ]

सप्तम अनुसूची

५. स्थानीय शासन अर्थात् नगर-निगम, सुधार-प्रन्याम, जिला-मंडलों, खनिज-वसाते प्राधि-कारियों तथा स्थानीय स्वशासन या ग्राम्य प्रशासन के लिये अन्य स्थानीय प्राधिकारियों का गठन और शक्तियां।

६. सार्वजनिक स्वास्थ और स्वच्छता, चिकित्सालय और औषधालय।

७. भारत के बाहर के स्थानों की तीर्थ यात्राओं को छोड़ कर अन्य तीर्थ यात्राये।

८. मादक पानों अर्थात् मादक पानों का उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, क्रय और विक्रय।

९. अंगहिनों और नौकरी के लिये अयोग्य व्यक्तियों की महायता।

१०. शव गाड़ना और कबरस्थान; शव दाह और श्मशान।

११. सूची? की प्रविष्टियों ६३, ६४, ६५ और ६६ तथा सूची ३ की प्रविष्टि-२५ के उपबन्धों क अधीन रहते हए शिक्षा, जिसके अन्तर्गत विश्वविद्यालय भी है।

१२. राज्य से नियंत्रित या वित्त-पोषित पुस्तकालय, संग्रहालय वा अन्य समतुल्य संस्थाएँ [१६][संसद् द्वारा निर्मित विधि के द्वाग या अधीन राष्ट्रीय महत्व के घोषित] मे भिन्न प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और अभिलेख।

१३. संचार अर्थात् सडके, पुल, नौका घाट तथा सूची १ में अनाल्लखत संचार के अन्य साधन, ट्राम-पथ, रज्जुपथ, अन्तर्देशीय जल-पथ और उन पर यातायात, वैसे जल-पथों के विषय में सूची १ और सूची ३ में के उपबन्धों के अधीन रहते हुये यंत्रचालित यानो को छोड़ कर अन्य यान।

१४. कृषि, जिसके अन्तर्गत कृषि-शिक्षा और गवेषणा, मरकों से रक्षा तथा उद्भिद् रोगों का निवारण भी है।

१५. पशु के नस्ल का परिरक्षण, संरक्षण और उन्नति तथा पशुओं के रोगों का निवारण, शालिहोत्री प्रशिक्षण और व्यवमाय।

१६. पश्वरोध और पशुओं के अतिचार का निवारण।

१७. सूची १ की प्रविष्टि ५६ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए जल, अर्थात जल सम्भरण, सिंचाई और नहरें, जल निस्सारण और बंध, जल-संग्रह और जल-शक्ति।

१८. भूमि, अर्थात्, भूमि में या पर अधिकार, भूधृति जिसके अन्तर्गत भूस्वामी और किमानों का संबंध भी है, तथा भाटक का संग्रहण कृषि भूमि का हस्तांतरण और अन्य संक्रमण, भूमि-सुधार और कृषि संबंधी उधार, उपनिवेषण।

१९. वन।

२०. वन्य प्राणियों और पक्षियों की रक्षा।

२१. मीन-क्षेत्र।

२२. सूची १ की प्रविष्टि ३४ के उपबन्धों के अधीन रहते हए प्रति पालक अधिकरण, भार-ग्रस्त और कुर्क सम्पदायें।

२३. संघ के नियंत्रणाधीन विनियमन और विकास के संबंध में सूची १ के उपबन्धों के अधीन रहते हुये खानों का विनियमन और खनिजों का विकास। [ १८२ ]

सप्तम अनुसूची

२४. सूची १ की [१७][प्रविष्टि ७ और ५२] के उपबन्धों के अधीन रहते हुए उद्योग।

२५. गैस, गैस-कर्मशालायें।

२६. सूची ३ की प्रविष्टि ३३ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्य के अन्दर व्यापार और वाणिज्य।

२७. सूची ३ की प्रविष्टि ३३ में के उपबन्धों के अधीन रहते हुए वस्तुओं का उत्पादन, संभरण और वितरण।

२८. बाजार और मेले।

२९. मान स्थापन को छोड़ कर बाट और माप।

३०. साहूकारी और साहूकार; कृषिऋणिता का उद्धार।

३१. पान्थशाला और पान्थशालापाल।

३२. सूची १ म उल्लिखित निगमों में भिन्न निगमों का और विश्वविद्यालयों का निगमन, विनियमन और समापन; व्यापारिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, धार्मिक और अन्य अनिगमित समाज और संस्थायें; सहकारी समाजें।

३३. नाट्यशाला, नाटक अभिनय, प्रथम अनुसूची की प्रविष्टि ६० के उपबन्धों के अधीन रहते हुए चल-चित्र, क्रीड़ा, आमोद और विनोद।

३४. पण लगाना और जूआ।

३५. राज्य में निहित या उसके स्ववश में की कर्मशालाये, भूमि और भवन।

[१८]*******

३७. संसद्-निर्मित किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्य के विधान मंडल के लिये निर्वाचन।

३८. राज्य के विधान मंडल के सदस्यों के, विधान-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा, गदि विधान परिषद है तो, उस के सभापति और उपसभापति के वेतन और भते।

३९. विधान-सभा और उसके सदस्यों और समितियों की तथा, यदि विधान-परिपद हो तो उस परिषद्, और उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषधिकार और उन्मुक्तियाँ, राज्य के विधानमंडल की समितियों के सामने साक्ष्य देने या दस्तावेज पेश करने के लिये व्यक्तियों की उपस्थिति बाध्य करना।

४०. राज्य के मंत्रियों के वेतन और भत्ते।

४१. राज्य-लोक सेवाएं, राज्य-लोकसेवा-आयोग।

४२. राज्य-निवृत्ति-वेतन अर्थात् राज्य द्वारा अथवा राज्य की संचित निधि में से देय निवृत्ति-वेतन।

४३. राज्य का लोक-ऋृण।

४४. निखात निधि।

४५. भूराजस्व जिसके अन्तर्गत राजस्व का निर्धारण और संग्रहण, भू-अभिलेखों का बनाये रखना, राजस्व प्रयोजनों के लिये और स्वत्व-अभिलेखों के लिये परिमाप और राजस्व का अन्य-संक्रामण भी है। [ १८३ ]

सप्तम अनुसूची

४६. कृषि-आय पर कर।

४७. कृषि-भूमि के उत्तराधिकार के विषय में शुल्क।

४८. कृषि-भूमि के विषय में सम्पत्ति-शुल्क।

४९. भूमि और भवनों पर कर।

५०. संसद मे, विधि द्वारा, खनिज-विकास के संबंध में लगाई गई परिसीमाओ के अधीन रहते हुए खनिज-अधिकार पर कर।

५१. राज्य में निर्मित या उत्पादित निम्नलिखित वस्तुओं पर उत्पादन-शुल्क तथा भारत में अन्यत्र निर्मित या उत्पादित तत्सम वस्तुओं पर उसी या कम दर में प्रतिशुल्क—

(क) मानव उपभोग के लिये मद्यसारिक पान;
(ख) अफीम, भांग और अन्य पिनक लाने वाली प्रौषधियां और स्वापक किन्तु ऐसी ओषधीय और प्रसाधनीय सामग्रियों को छोड़ कर जिनमे मद्यमार अथवा इस प्रविष्टि की उपकंडिका (ख) में का कोई पदार्थ अन्तविष्ट हो

५२. किसी स्थानीय क्षेत्र में उपभोग, प्रयोग या विक्रय के लिये वस्तुओं के प्रवेश पर कर।

५३. विद्युत के उपभोग या विक्रय पर कर ।

[१९][५४. सूची १ की प्रविष्टि ६२क के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, समाचारपत्रों से भिन्न वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर कर।]

५५. समाचारपत्रों में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों को छोड़ कर अन्य विज्ञापनों पर कर।

५६. सड़कों या अन्तर्देशीय जल-पथों पर ले जाये जाने वाले वस्तुओं और यात्रियों पर कर।

५७. सड़कों पर उपयोग के योग्य यानों पर, चाहे वे यंत्रचालित हों या न हों तथा जिन के सूची ३ की प्रविष्टि ३५ के उपबन्धों के अधीन ट्रामगाड़ियां भी अन्तर्गत है, कर।

५८. पशुओं और नौकाओं पर कर।

५९. पथ-कर।

६०. वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नौकरियों पर कर।

६१. प्रतिव्यक्ति-कर।

६२. विलास वस्तुओं पर कर, जिन के अन्तर्गत प्रामोद, विनोद, पण लगाने और जुआ खेलने पर भी कर हैं।

६३. मुद्रांक-शुल्क की दरों के संबंध में सूची (१) के उपबन्धों में उल्लिखित दस्तावेजों को छोड़ कर अन्य दस्तावेजों के बारे में मुद्रांक-शुल्क की दर।

६४. इस सूची में के विषयों में से किसी से संबद्ध विधियों के विरुद्ध अपराध।

६५. इस सूची के विषयों में से किसी के बारे में उच्चतमन्यायालय को छोड़ कर सब न्यायालयों का क्षेत्राधिकार और शक्तियां ।

६६. किसी न्यायालय में ली जाने वाली फीसों को छोड़ कर इस सूची में के विषयों में से किसी के बारे में फीस। [ १८४ ]

सप्तम अनुसूची

सूची ३.—समवर्ती सूची[२०]

१. दंड-विधि जिसके अन्तर्गत वे सब विषय हैं जो इस संविधान के प्रारंभ पर भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत हैं किन्तु सूची १ या सूची २ में उल्लिखित विषयों में से किसी से सम्बद्ध विषयों के विरुद्ध अपराधों को छोड़ कर तथा असैनिक शक्ति की सहायतार्थ नौ, स्थल और विमान बलों के प्रयोग को छोड़ कर।

२. दंड-प्रक्रिया जिस के अन्तर्गत वे सब विषय हैं जो इस संविधान के प्रारंभ पर दंड प्रक्रिया-संहिता के अन्तर्गत हैं।

३. राज्य की सुरक्षा से, सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने से अथवा समुदाय के लिये अत्यावश्यक संभरणों पर सेवाओं को बनाये रखने से ससक्त कारणों के लिये निवारक निरोध; ऐसे निरुद्ध व्यक्ति।

४. कैदियों, अभियुक्त व्यक्तियों तथा इस सूची की प्रविष्टि ३ में उल्लिखित कारणों से निवारक-निरोध में किये गये व्यक्तियों का एक राज्य से दूसरे राज्य को हटाया जाना।

५. विवाह और विवाह-विच्छेद; शिशु और अवस्यक; दत्तक-ग्रहण; इच्छापत्र, इच्छापत्रहीनत्व और उत्तराधिकार; अविभक्त कुटुम्ब और विभाजन; वे सब विषय जिनके सम्बन्ध में न्यायिक कार्यवाहियों में पक्ष इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहिले अपनी स्वीय विधि के अधीन थे।

६. कृषि-भूमि को छोड़ कर अन्य सम्पत्तियों का हस्तांन्तरण; विलेखों और दस्तावेजों का पंजीयन।

७. संविदा जिन के अन्तर्गत भागिता, अभिकरण परिवहन-संविदा और अन्य विशेष प्रकार की संविदाये भी है किन्तु कृषि-भूमि संबंधी संविदाये नहीं है।

८. अभियोज्य दोष।

९. दिवाला और सोधाक्षमता।

१०. न्यास और न्यासी।

११. महाप्रशासक और राजन्यासी।

१२. साक्ष्य और शपथें; विधियों, सार्वजनिक कार्यों और अभिलेखों और न्यायिक कार्यवाहियों का अभिज्ञान।

१३. व्यवहार-प्रक्रिया, जिसके अन्तर्गत वे सब विषय हैं जो इस संविधान के प्रारंभ पर व्यवहार-प्रक्रिया-संहिता के अन्तर्गत हैं, परिसीमा और मध्यस्थ-निर्णय।

१४. न्यायालय-अवमान, किन्तु जिसके अन्तर्गत उच्चतमन्यायालय का अवमान नहीं है।

१५. आहिण्डन, अस्थिरवासी और प्रवासी आदिमजातियां।

१६. उन्माद और मनोवैकल्य जिस के अंतर्गत उन्मत्तों और मनोविकलों के रखने या उपचार के स्थान भी है।

१७. पशुओं के प्रति निर्दयता का निवारण।

१८. खाद्य पदार्थों और अन्य वस्तुओं में अपमिश्रण।

१९. अफीम विषयक सूची १ की प्रविष्टि ५९ में के उपबंधो के अधीन रहते हुए लोग और विष।

२०. आर्थिक और सामाजिक योजना।

२१. वाणिज्यिक और औद्योगिक एकाधिपत्य, गुट्ट और न्यास। [ १८५ ]

सप्तम अनुसूची

२२. व्यापार-संघ; प्रौद्योगिक और श्रमिक विवाद।

२३. सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा; नौकरी और बेकारी।

२४. श्रमिकों का कल्याण जिसके अन्तर्गत कार्य की शर्ते, भविष्य-निधि, नियोजक-दायित्व, कर्मकार-प्रतिकर, असमर्थता और वार्धक्य-निवृत्ति-वेतन और प्रसूति-सुविधायें भी है।

२५. श्रमिकों का व्यावसायिक और शिल्पी-प्रशिक्षण।

२६. विधि-वृत्तियां, वैद्यक वृत्तियां और अन्य वृत्तियां।

२७. भारत और पाकिस्तान की डोमीनियनों के स्थापित होने के कारण अपने मूल निवास स्थान से विस्थापित व्यक्तियों की सहायता और पुनर्वास।

२८. पूर्त और पूर्त-संस्थाएं, पूर्त और धार्मिक धर्मस्व और धार्मिक संस्थाएं।

२६. मानवों, पशुओ और उद्भिदों पर प्रभाव डालने वाले सांऋमिक और सांसर्गिक रोगों और मारकों के एक राज्य से दूसरे में फैलने का निवारण।

३०. जीवन संबंधी सांख्यकी, जिम के अन्तर्गत जन्म और मृत्यु का पंजीयन भी है।

३१. मंसद्-निर्मित विधि या वर्तमान विधि के द्वारा या अधीन महा-पत्तन घोषित पत्तनों में भिन्न पत्तन।

३२. राष्ट्रीय जल-पथों के विषय में सूची १ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए अन्तर्देशीय जल-पथों पर यंत्र-चालित यानों विषयक नौ-वहन और नौ-परिवहन तथा ऐसे जल-पथों पर पथ-नियम, तथा अन्तर्देशीय अल-पथों पर यात्रियों और वस्तुओं का परिवहन।

[२१][३३. (क) जहां संसद् द्वारा विधि द्वारा किसी उद्योग का संघ द्वारा नियंत्रण लोक हित में इष्टकर घोषित किया गया है वहां उस उद्योग में के उत्पादों में,और उसी प्रकार के आयात किये गये मालों का ऐसे उत्पादों के रूप में,

(ब) खाद्य पदार्थों का, जिनके अन्तर्गत खाद्य तिलहन और तेल भी हैं,

(ग) ढोरों के चारे का, जिनके अन्तर्गत खली और अन्य सारकृत चारे है,

(घ) कच्ची रुई का, चाहे धुनी हुई हो या विना धुनी हुई हो और बिनौले का, और

(ङ) कच्चे पटसन का,

व्यापार और वाणिज्य तथा उत्पादन, संभरण और वितरण।]

३४. मूल्य-नियंत्रण।

३५. यंत्र चालित यान जिनके अन्तर्गत वे सिद्धांत भी हैं जिनके अनुसार ऐसे यानों पर कर लगाया जाना है।

३६. कारखाने।

३७. वाष्पयंत्र।

३८. विद्युत।

३९. समाचार पत्र, पुस्तकें और मुद्रणालय। [ १८६ ]

सप्तम अनुसूची

४०. [२२][संसद् द्वारा निर्मित विधि के द्वारा या अधीन राष्ट्रीय महत्व के घोषित] से भिन्न पुरातत्व संबंधी स्थान और अवशेष।

४१. विधि द्वारा निष्क्राम्य घोषित सम्पत्ति की कृषि भूमि सहित अभिरक्षा, प्रबंध और व्ययन।

[२३][४२. सम्पत्ति का अर्जन और अधिग्रहण।]

४३. किसी राज्य में, उस राज्य से बाहर पैदा हुए कर विषयक दावों तथा अन्य सार्वजनिक अभियाचनाओं की, जिस के अन्तर्गत भूराजस्व की बकाया और इस प्रकार वसूल की जाने वाली बकाया भी है, वसूली।

४४. न्यायिक मुद्रांकों द्वारा संगृहीत शुल्कों या फीसों को छोड़ कर अन्य मुद्रांक शुल्क, किन्तु इस के अन्तर्गत मुद्रांक शुल्क की दरें नहीं हैं।

४५. सूची २ या सूची ३ में उल्लिखित विषयों में से किसी के प्रयोजनों के लिये जांच और सांख्य की।

४६. उच्चतमन्यायालय को छोड़ कर अन्य न्यायालयों की इस सूची के. विषयों में से किसी के बारे में क्षेत्राधिकार और शक्तियां।

४७. इस सूची में के विषयों में से किसी के बारे में फीसें किन्तु इन के अन्तर्गत किसी न्यायालय में ली जाने वाली फीसें नहीं हैं।

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में प्रविष्टि ३ के स्थान पर निम्नलिखित एनिष्टि रख दी जायेगी, अर्थात्—

    "३ कटकों का प्रशासन।"

  2. २.० २.१ ये मदें जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होंगी।,
  3. 'प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित' शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २६ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  4. प्रविष्टि ३३ उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दी गयी।
  5. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगी।
  6. जम्म और कश्मीर राज्य को लागू होने में प्रविष्टि ४३ के स्थान को निम्नलिखित प्रविष्टि रख दी जायेगी, अर्थात्—

    ४३."महाजनी, बीमाई और वित्तीय निगमों का निगमन विनियमन और समापन किन्तु इनके अन्तर्गत सहकारी संस्थाएं नहीं हैं।"

  7. ७.० ७.१ ७.२ ७.३ ७.४ ७.५ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होंगी।,
  8. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में प्रविष्टि ६७ के स्थान पर निम्नलिखित रख दी जायेगी अर्थात्–
    "६७. संसद् द्वारा विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्वीय स्थान, और अवशेष।"
  9. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २७ द्वारा "संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित" शब्दों के स्थान पर रखे गये।
  10. १०.० १०.१ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में राज्यों के प्रति निर्देश का यह अर्थ न किया जायेगा कि वह उस राज्य के प्रति निर्देश है।,
  11. ११.० ११.१ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगी।,
  12. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित।
  13. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में मद ८१ में "अन्तर्राज्यीय निरोधा" शब्द लुप्त कर दिये जायेंगे।
  14. संविधान (षष्ठ संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २ द्वारा अन्तस्थापित।
  15. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगी।
  16. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धाग २७ द्वारा “संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित” के स्थान पर रखे गये।
  17. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २८ द्वारा “प्रविष्टि ५२" के स्थान पर रख गये।
  18. प्रविष्टि ३६ संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २६ द्वारा लुप्त कर दी गयी।
  19. संविधान (षष्ट संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २ द्वारा मूल प्रविष्टि ५४ के स्थान पर रखी गयी।
  20. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगी।
  21. संविधान (तृतीय संशोधन) अधिनियम, १९५४ द्वारा प्रतिस्थापित।
  22. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम १९५६, धारा २७ द्वारा "संसद् से विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्व के घोषित" के स्थान पर रखे गये।
  23. उपरोक्त की ही धारा २६ द्वारा मूल प्रविष्टि ४२ के स्थान पर रखी गयी।