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भ्रमरगीत-सार/४५-काहे को गोपीनाथ कहावत

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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १०६

 

राग मलार
काहे को गोपीनाथ कहावत?

जो पै मधुकर कहत हमारे गोकुल काहे न आवत?
सपने की पहिंचानि जानि कै हमहिं कलंक लगावत।
जो पै स्याम कूबरी रीझे सो किन नाम धरावत?
ज्यों गजराज काज के औसर औरै दसन दिखावत[]
कहन सुनन को हम हैं ऊधो सूर अंत[] बिरमावत॥४५॥

  1. ज्यों गजराज......दिखावत=(कहावत) हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
  2. अन्त=अनत, अन्यत्र।