श्रेणी:भ्रमरगीत-सार
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- भ्रमरगीत-सार
- पृष्ठ:भ्रमरगीत-सार.djvu/५८
- भ्रमरगीत-सार/भूमिका
- भ्रमरगीत-सार/वक्तव्य
- भ्रमरगीत-सार/१-पहिले करि परनाम नंद सों समाचार सब दीजो
- भ्रमरगीत-सार/१०-नीके रहियो जसुमति मैया
- भ्रमरगीत-सार/१००-अति मलीन बृषभानुकुमारी
- भ्रमरगीत-सार/१०१-ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी
- भ्रमरगीत-सार/१०२-ऊधो! यह मन और न होय
- भ्रमरगीत-सार/१०३-ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास
- भ्रमरगीत-सार/१०४-ऊधो! कही सो बहुरि न कहियो
- भ्रमरगीत-सार/१०५-ऊधो! तुम अपनो जतन करौ
- भ्रमरगीत-सार/१०६-ऊधो! जाके माथे भोग
- भ्रमरगीत-सार/१०७-ऊधो! अब यह समुझ भई
- भ्रमरगीत-सार/१०८-ऊधो! हम अति निपट अनाथ
- भ्रमरगीत-सार/१०९-ऊधो! ब्रज की दसा बिचारौ
- भ्रमरगीत-सार/११-उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो
- भ्रमरगीत-सार/११०-ऊधो! यह हित लागै काहे
- भ्रमरगीत-सार/१११-ऊधो! ब्रज में पैठ करी
- भ्रमरगीत-सार/११२-गुप्त मते की बात कहौ जनि कहुँ काहू के आगे
- भ्रमरगीत-सार/११३-मधुकर! राखु जोग की बात
- भ्रमरगीत-सार/११४-ऊधो! तुम अति चतुर सुजान
- भ्रमरगीत-सार/११५-ऊधो! कोकिल कूजत कानन
- भ्रमरगीत-सार/११६-ऊधो, हम अजान मतिभोरी
- भ्रमरगीत-सार/११७-ऊधो! कमलनयन बिनु रहिए
- भ्रमरगीत-सार/११८-ऊधो! कौन आहि अधिकारी
- भ्रमरगीत-सार/११९-ऊधो! जो तुम हमहिं सुनायो
- भ्रमरगीत-सार/१२-सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात
- भ्रमरगीत-सार/१२०-ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु
- भ्रमरगीत-सार/१२१-ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै
- भ्रमरगीत-सार/१२२-ऊधो! जाहु तुम्हैं हम जाने
- भ्रमरगीत-सार/१२३-ऊधो! स्यामसखा तुम सांचे
- भ्रमरगीत-सार/१२४-ऊधोजू! देखे हौ ब्रज जात
- भ्रमरगीत-सार/१२५-ऊधो! बेगि मधुबन जाहु
- भ्रमरगीत-सार/१२६-ऊधो! कछु कछु समुझि परी
- भ्रमरगीत-सार/१२७-ऊधो! सुनत तिहारे बोल
- भ्रमरगीत-सार/१२८-ऐसी बात कहौ जनि ऊधो
- भ्रमरगीत-सार/१२९-ऊधो! जानि परे सयान
- भ्रमरगीत-सार/१३-कोऊ आवत है तन स्याम
- भ्रमरगीत-सार/१३०-ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे
- भ्रमरगीत-सार/१३१-ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ
- भ्रमरगीत-सार/१३८-ऊधो! मन माने की बात
- भ्रमरगीत-सार/१३९-ऊधो! खरिऐ जरी हरि के सूलन की
- भ्रमरगीत-सार/१४-है कोई वैसीई अनुहारि
- भ्रमरगीत-सार/१४०-मधुकर! हम न होहिं वे बेली
- भ्रमरगीत-सार/१४१-मधुकर! स्याम हमारे ईस
- भ्रमरगीत-सार/१४२-मधुकर! तुम हौ स्याम-सखाई
- भ्रमरगीत-सार/१४३-मधुकर! मन तो एकै आहि
- भ्रमरगीत-सार/१४४-मधुकर! छाँड़ु अटपटी बातें
- भ्रमरगीत-सार/१४५-मधुप! रावरी पहिचानि
- भ्रमरगीत-सार/१४६-मधुकर! स्याम हमारे चोर
- भ्रमरगीत-सार/१४७-मधुकर! समुझि कहौ मुख बात
- भ्रमरगीत-सार/१४८-मधुकर! हम जो कहौ करैं
- भ्रमरगीत-सार/१४९-मधुकर! तौ औरनि सिख देहु
- भ्रमरगीत-सार/१५-देखो नंदद्वार रथ ठाढ़ो
- भ्रमरगीत-सार/१५०-मधुकर! जानत नाहिंन बात
- भ्रमरगीत-सार/१५१-तिहारी प्रीति किधौं तरवारि
- भ्रमरगीत-सार/१५२-मधुकर! कौन मनायो मानै
- भ्रमरगीत-सार/१५३-मधुकर! ये मन बिगरि परे
- भ्रमरगीत-सार/१५४-मधुकर! जौ तुम हितू हमारे
- भ्रमरगीत-सार/१५५-मधुकर! कौन गाँव की रीति
- भ्रमरगीत-सार/१५६-मधुकर! ये नयना पै हारे
- भ्रमरगीत-सार/१५७-मधुकर! कह कारे की जाति
- भ्रमरगीत-सार/१५८-मधुकर! ल्याए जोग-संदेसो
- भ्रमरगीत-सार/१५९-स्याम विनोदी रे मधुबनियाँ
- भ्रमरगीत-सार/१६-कहौ कहाँ तें आए हौ
- भ्रमरगीत-सार/१६०-ऊधो! हम ही हैं अति बौरी
- भ्रमरगीत-सार/१६१-कहाँ लगि मानिए अपनी चूक
- भ्रमरगीत-सार/१६२-ऊधों! जोग जानै कौन
- भ्रमरगीत-सार/१६३-फिर ब्रज बसहु गोकुलनाथ
- भ्रमरगीत-सार/१६४-कबहूँ सुधि करत गोपाल हमारी
- भ्रमरगीत-सार/१६५-भली बात सुनियत हैं आज
- भ्रमरगीत-सार/१६६-उधो! हम आजु भईं बड़भागी
- भ्रमरगीत-सार/१६७-पाती सखि! मधुबन तें आई
- भ्रमरगीत-सार/१६८-सुनु गोपी हरि को सँदेस
- भ्रमरगीत-सार/१६९-मधुकर! भली सुमति मति खोई
- भ्रमरगीत-सार/१७-ऊधो को उपदेस सुनौ किन कान दै
- भ्रमरगीत-सार/१७०-सुनियत ज्ञानकथा अलि गात
- भ्रमरगीत-सार/१७१-ऊधो! इतनी कहियो जाय
- भ्रमरगीत-सार/१७२-ऊधो जोग सिखावन आए
- भ्रमरगीत-सार/१७३-ऊधो! लहनौ अपनो पैए
- भ्रमरगीत-सार/१७४-ऊधो! काह करैं लै पाती
- भ्रमरगीत-सार/१७५-ऊधौ! बिरहौ प्रेमु करै
- भ्रमरगीत-सार/१७६-ऊधो! इतनी जाय कहो
- भ्रमरगीत-सार/१७७-जौ पै ऊधो हिरदय माँझ हरी
- भ्रमरगीत-सार/१७८-ऊधो इतै हितूकर रहियो
- भ्रमरगीत-सार/१७९-ऊधो यहि ब्रज बिरह बढ़्यो
- भ्रमरगीत-सार/१८-हमसों कहत कौन की बातें
- भ्रमरगीत-सार/१८०-ऊधो तुम कहियो ऐसे गोकुल आवैं
- भ्रमरगीत-सार/१८१-ऊधो अब जो कान्ह न ऐहैं
- भ्रमरगीत-सार/१८२-ऊधो हमैं दोउ कठिन परी
- भ्रमरगीत-सार/१८३-ऊधो बहुतै दिन गए चरनकमल-बिमुख ही
- भ्रमरगीत-सार/१८४-ऊधो कहत न कछू बनै
- भ्रमरगीत-सार/१८५-ऊधो इन नयनन नेम लियो
- भ्रमरगीत-सार/१८६-ऊधो ब्रजरिपु बहुरि जिए
- भ्रमरगीत-सार/१८७-ऊधो कहिए काहि सुनाए
- भ्रमरगीत-सार/१८८-ऊधो भली करी गोपाल
- भ्रमरगीत-सार/१८९-अपने मन सुरति करत रहिबी
- भ्रमरगीत-सार/१९-तू अलि! कासों कहत बनाय
- भ्रमरगीत-सार/१९०-उधो नँदनंदन सों इतनी कहियो
- भ्रमरगीत-सार/१९१-ऊधो हरि करि पठवत जेती
- भ्रमरगीत-सार/१९२-ऊधो यह हरि कहा कर्यौ
- भ्रमरगीत-सार/१९८-ऊधो जो हरि आवैं तो प्रान रहैं
- भ्रमरगीत-सार/१९९-ऊधो यह निस्चय हम जानी
- भ्रमरगीत-सार/२ कहियो नन्द कठोर भए
- भ्रमरगीत-सार/२०-हम तो नंदघोष की वासी
- भ्रमरगीत-सार/२००-ऊधो हम हैं तुम्हरी दासी
- भ्रमरगीत-सार/२०२-ऊधो तुमहीं हौ सब जान
- भ्रमरगीत-सार/२०३-ऊधो यहै बिचार गहौ
- भ्रमरगीत-सार/२०४-ऊधो कत वे बातें चाली
- भ्रमरगीत-सार/२०५-ऊधो जो हरि हितू तिहारे
- भ्रमरगीत-सार/२०६-ऊधो तुम आए किहि काज
- भ्रमरगीत-सार/२०८-ऊधो क्यों आए ब्रज धावते
- भ्रमरगीत-सार/२०९-ऊधो यहै प्रकृति परि आई तेरे
- भ्रमरगीत-सार/२१-गोकुल सबै गोपाल-उपासी
- भ्रमरगीत-सार/२१०-ऊधो मन नाहीं दस बीस
- भ्रमरगीत-सार/२११-ऊधो तुम सब साथी भोरे
- भ्रमरगीत-सार/२१२-ऊधो समुझावै सो बैरनि
- भ्रमरगीत-सार/२१३-ऊधो स्यामहिं तुम लै आओ
- भ्रमरगीत-सार/२१४-ऊधोजू जोग तबहिं हम जान्यो
- भ्रमरगीत-सार/२१५-ऊधो वै सुख अबै कहाँ
- भ्रमरगीत-सार/२१६-कहि ऊधो हरि गए तजि मथुरा कौन बड़ाई पाई
- भ्रमरगीत-सार/२१७-ऊधो जाय बहुरि सुनि आवहु कहा कह्यो है नंदकुमार
- भ्रमरगीत-सार/२१८-ऊधो कह मत दीन्हो हमहिं गोपाल
- भ्रमरगीत-सार/२१९-उधो ते कि चतुर पद पावत
- भ्रमरगीत-सार/२२-जीवन मुँहचाही को नीको
- भ्रमरगीत-सार/२२०-ऊधो भली करी अब आए
- भ्रमरगीत-सार/२२१-ऊधो कुलिस भई यह छाती
- भ्रमरगीत-सार/२२२-ऊधो कहु मधुबन की रीति
- भ्रमरगीत-सार/२२३-ऊधो काल-चाल चौरासी
- भ्रमरगीत-सार/२२४-ऊधो सरद समयहू आयो
- भ्रमरगीत-सार/२२५-ऊधो कौन कुदिन छाँड़्यो हो गोकुल
- भ्रमरगीत-सार/२२६-ऊधो! राखिए वह बात
- भ्रमरगीत-सार/२२७-ऊधो! बात तिहारी जानी
- भ्रमरगीत-सार/२२८-ऊधो! राखति हौं पति तेरी
- भ्रमरगीत-सार/२२९-ऊधो! बेदबचन परमान
- भ्रमरगीत-सार/२३-आयो घोष बड़ो ब्योपारी
- भ्रमरगीत-सार/२३०-ऊधो! अब चित भए कठोर
- भ्रमरगीत-सार/२३१-ऊधो! अब नहिं स्याम हमारे
- भ्रमरगीत-सार/२३२-ऊधो! पा लागौं भले आए
- भ्रमरगीत-सार/२३३-ऊधो! निरगुन कहत हौ तुमहीं अब धौं लेहु
- भ्रमरगीत-सार/२३४-ऊधो! और कछू कहिबे को
- भ्रमरगीत-सार/२३५-ऊधो! कहियो सबै सोहती
- भ्रमरगीत-सार/२३६-ऊधो! तुमहुं सुनौ इक बात
- भ्रमरगीत-सार/२३७-ऊधो! अँखियाँ अति अनुरागी
- भ्रमरगीत-सार/२३८-ऊधो! कहत कही नहिं जाय
- भ्रमरगीत-सार/२३९-ऊधो यह मन अधिक कठोर
- भ्रमरगीत-सार/२४-जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहैं
- भ्रमरगीत-सार/२४०-ऊधो होत कहा समुझाए
- भ्रमरगीत-सार/२४१-ऊधो हमैं जोग नहिं भावै
- भ्रमरगीत-सार/२४२-ऊधो हम न जोगपद साधे
- भ्रमरगीत-सार/२४३-ऊधो कहियो यह संदेस
- भ्रमरगीत-सार/२४४-ऊधो हरिजू हित जनाय चित चोराय लयो
- भ्रमरगीत-सार/२४५-मधुकर जानत है सब कोऊ
- भ्रमरगीत-सार/२४६-मधुकर कहियत बहुत सयाने
- भ्रमरगीत-सार/२४७-मधुकर कहत सँदेसो सूलहु
- भ्रमरगीत-सार/२४८-मधुकर यहाँ नहीं मन मेरो
- भ्रमरगीत-सार/२४९-मधुकर हमहीं कौ समझावत
- भ्रमरगीत-सार/२५-आए जोग सिखावन पाँड़े
- भ्रमरगीत-सार/२५०-को गोपाल कहाँ को बासी, कासों है पहिंचान
- भ्रमरगीत-सार/२५१-मधुकर के पठए तें तुम्हरी व्यापक न्यून परी
- भ्रमरगीत-सार/२५२-मधुकर बादि बचन कत बोलत
- भ्रमरगीत-सार/२५३-मधुकर देखि स्याम तन तेरो
- भ्रमरगीत-सार/२५४-मधुकर काके मीत भए
- भ्रमरगीत-सार/२५५-मधुकर कहाँ पढ़ी यह नीति
- भ्रमरगीत-सार/२५७-मधुप बिराने लोग बटाऊ
- भ्रमरगीत-सार/२५८-मधुकर महाप्रबीन सयाने
- भ्रमरगीत-सार/२५९-मधुकर कौन देस तें आए
- भ्रमरगीत-सार/२६-ए अलि! कहा जोग में नीको
- भ्रमरगीत-सार/२६०-मधुकर कान्ह कही नहिं होहीं
- भ्रमरगीत-सार/२६१-मधुकर अब धौं कहा कर्यो चाहत
- भ्रमरगीत-सार/२६२-मधुकर आवत यहै परेखो
- भ्रमरगीत-सार/२६३-मधुकर प्रीति किए पछितानी
- भ्रमरगीत-सार/२६४-मधुकर की संगति तें जनियत बंस अपन चितयो
- भ्रमरगीत-सार/२६५-मधुकर चलु आगे तें दूर
- भ्रमरगीत-सार/२६६-मधुकर सुनहु लोचन-बात
- भ्रमरगीत-सार/२६७-मधुकर जो हरि कही करैं
- भ्रमरगीत-सार/२६८-मधुकर भल आए बलवीर
- भ्रमरगीत-सार/२६९-मधुकर यह कारे की रीति
- भ्रमरगीत-सार/२७-हमरे कौन जोग ब्रत साधै
- भ्रमरगीत-सार/२७०-मधुप! तुम कहा यहै गुन गावहु
- भ्रमरगीत-सार/२७१-मधुकर पीत बदन किहि हेत
- भ्रमरगीत-सार/२७२-मधुकर मधुमदमातो डोलत
- भ्रमरगीत-सार/२७३-मधुकर ये सुनु तन मन कारे
- भ्रमरगीत-सार/२७४-मधुकर! तुम रसलंपट लोग
- भ्रमरगीत-सार/२७५-मधुकर! कासों कहि समझाऊँ
- भ्रमरगीत-सार/२७६-मधुप तुम देखियत हौ चित कारे
- भ्रमरगीत-सार/२७७-मधुकर को मधुबनहिं गयो
- भ्रमरगीत-सार/२७८-देखियत कालिंदी अति कारी
- भ्रमरगीत-सार/२७९-सुनियत मुरली देखि लजात
- भ्रमरगीत-सार/२८-हम तो दुहूं भाँति फल पायो
- भ्रमरगीत-सार/२८०-किधौं घन गरजत नहिं उन देसनि
- भ्रमरगीत-सार/२८१-कोउ सखि नई चाह सुनि आई
- भ्रमरगीत-सार/२८२-बरु ये बदराऊ बरसन आए
- भ्रमरगीत-सार/२८३-परम बियोगिनि गोबिंद बिनु कैसे बितवैं दिन सावन के
- भ्रमरगीत-सार/२८४-हमारे माई! मोरउ बैर परे
- भ्रमरगीत-सार/२८५-सखी री हरिहि दोष जनि देहु
- भ्रमरगीत-सार/२८६-उघरि आयो परदेसी को नेहु
- भ्रमरगीत-सार/२८७-हरि न मिले री माई जन्म ऐसे ही लाग्यो जान
- भ्रमरगीत-सार/२८८-तुम्हरे बिरह ब्रजनाथ अहो प्रिय! नयनन नदी बढ़ी