विकिस्रोत:आज का पाठ/१० मार्च
प्रेम-विषयक गल्पों से अरुचि प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"जनता की साहित्यिक रुचि के विषय में बुकसेलरों से अच्छी जानकारी शायद ही किसी को होती हो। और लोग अक़लीगद्दा लगाते हैं, बुकसेलर को इसका प्रत्यक्ष अनुभव होता है। अभी थोड़े दिन हुए एक समाचार पत्र ने कई बडे-बड़े बुकसेलरों से पूछा था कि आजकल आप लोगों के यहाँ किस विषय की पुस्तकों की ज्यादा माँग है। इसका बुकसेलरों ने जो उत्तर दिया, उसका साराश यों है:
'जहाँ तक पुस्तकों की बिक्री का सम्बन्ध है, कल्पना साहित्य बड़ी आसानी से प्रथम स्थान ले लेता है। कहानियों के संग्रह, उपन्यास, नाटक और कई विख्यात लेखकों के निबन्ध-यह सब इसी श्रेणी में आ
जाते हैं। लेकिन प्रेम-विषयक और शृङ्गारपूर्ण रचनाओं की अब उतनी खपत नहीं रही, जितनी कई साल पहले थी।..."(पूरा पढ़ें)