विकिस्रोत:आज का पाठ/१२ फ़रवरी

विकिस्रोत से

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

साहित्य में समालोचना प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।


"साहित्य में समालोचना का जो महत्व है उसको बयान करने की जरूरत नहीं। सद् साहित्य का निर्माण बहुत गम्भीर समालोचना पर ही मुनहसर है। योरप में इस युग को समालोचना का युग कहते हैं। वहाँ प्रति-वर्ष सैकड़ों पुस्तकें केवल समालोचना के विषय की निकलती रहती हैं, यहाँ तक कि ऐसे ग्रन्थों का प्रचार, प्रभाव, और स्थान क्रियात्मक रचनाओं से किसी प्रकार घटकर नहीं है। कितने ही पत्रों और पत्रिकाओं में स्थायी रूप से आलोचनायें निकलती रहती हैं, लेकिन हिन्दी में या तो समालोचना होती ही नहीं या होती है तो द्वेष या झूठी प्रशंसा से भरी हुई अथवा ऊपरी, उथली और बहिर्मुखी।..."(पूरा पढ़ें)