विकिस्रोत:आज का पाठ/१ अक्टूबर
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मलिक मुहम्मद जायसी रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।
"मलिक मुहम्मद जायसी— ये प्रसिद्ध सूफी फकीर शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन) के शिष्य थे और जायस में रहते थे। इनकी एक छोटी सी पुस्तक 'आखिरी कलाम' के नाम से फारसी अक्षरों में छपी मिली है। यह सन् ९३६ हिजरी में (सन् १५२८ ईसवी के लगभग) बाबर के समय में लिखी गई थी। इसमें बाबर बादशाह की प्रशंसा है। इस पुस्तक में मलिक मुहम्मद जायसी ने अपने जन्म के संबंध में लिखा है—
भा अवतार मोर नौ सदी। तीस बरस ऊपर कबि बदी॥
जायसी का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है 'पदमावत', जिसका निर्माण-काल कवि ने इस प्रकार दिया है—
सन नव सै सत्ताइस अहा। कथा अरंभ-बैन कवि कहा॥
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