विकिस्रोत:आज का पाठ/२० सितम्बर
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रासो ग्रंथ परिचय रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।
"यहाँ पर वीर-काल के उन ग्रंथो का उल्लेख किया जाता है जिनकी या तो प्रतियाँ मिलती हैं या कहीं उल्लेख मात्र पाया जाता है। ये ग्रंथ 'रासो' कहलाते हैं। कुछ लोग इस शब्द का संबंध "रहस्य” से बतलाते हैं। पर "बीसलदेव रासो" में काव्य के अर्थ में 'रसायण' शब्द बार बार आया है। अतः हमारी समझ में इसी "रसायण" शब्द से होते होते 'रासो' हो गया है।"
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