विकिस्रोत:आज का पाठ/२९ नवम्बर
कहानी रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"जिस प्रकार गीत गाना और सुनना मनुष्य के स्वभाव के अंतर्गत है। उसी प्रकार कथा-कहानी कहना और सुनना भी कहानियों का चलन सभ्य-असभ्य सब जातियों में चला आ रहा है। सब जगह उनका समावेश शिष्ट साहित्य के भीतर भी हुआ है। घटना-प्रधान और मार्मिक, उनके ये दो स्थूल भेद भी बहुत पुराने हैं और इनका मिश्रण भी। बृहत्कथा, बैतालपचीसी, सिंहासन बत्तीसी इत्यादि घटनाचक्र में रमानेवाली कथाओं की पुरानी पोथियाँ हैं। कादंबरी, माधवानल कामकला, सीत-बसंत इत्यादि वृत्त-वैचित्र्य-पूर्ण होते हुए भी कथा के मार्मिक स्थलों में रमानेवाले भाव-प्रधान आख्यान हैं। इन दोनों कोटि की कहानियों में एक बड़ा भारी भेद तो यह दिखाई देगा कि प्रथम में इतिवृत्त का प्रवाह मात्र अपेक्षित होता है, पर दूसरी कोटि की कहानियों में भिन्न-भिन्न स्थितियों का चित्रण या प्रत्यक्षीकरण भी पाया जाता है।..."(पूरा पढ़ें)