विकिस्रोत:निर्वाचित पुस्तक/फ़रवरी २०२३

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गल्प समुच्चय प्रेमचन्द द्वारा रचित गल्प-संग्रह है। इसका प्रकाशन "सरस्वती-प्रेस, बनारस सिटी", (बनारस) द्वारा १९३१ ई॰ में किया गया।


"आधुनिक गल्प-लेखन-कला हिन्दी में अभी बाल्यावस्था में है; इसलिये इससे पाश्चात्य के प्रौढ़ गल्पों की तुलना करना अन्याय होगा। फिर भी इस थोड़े-से काल में हिन्दी-गल्प-कला ने जो उन्नति की है, उसपर वह गर्व करें, तो अनुचित नहीं। हिन्दी में अभी टालस्टाय, चेकाफ़, परे, डाडे, मोपासाँ का आविर्भाव नहीं हुआ है; पर बिरवा के चिकने पात देखकर कहा जा सकता है, कि यह होनहार है। इस संग्रह में हमने चेष्टा की है, कि हिन्दी के सर्वमान्य गल्पकारों की रचनाओं की बानगी दे दी जाय। हम कहाँ तक सफल हुए हैं, इसका निर्णय पाठक और समालोचक-गण ही कर सकते हैं।"...(पूरा पढ़ें)