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वेनिस का बाँका/एकोनविंशति परिच्छेद

विकिस्रोत से
वेनिस का बाँका
अनुवादक
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

बनारस सिटी: पाठक एंड सन भाषा भंडार पुस्तकालय, पृष्ठ ११३ से – १२० तक

 

एकोनविंशति परिच्छेद।

कुछ काल तक सन्नाटे कासा समा रहा, और प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों में मग्न था। अंड्रियास की चेष्टा से सिद्ध होता था कि वह फ्लोडोआर्डो के लिये कोई काठन कार्य्य निर्धारण कर रहे हैं। उस समय फ्लोडोआर्डो और रोजाबिला की यही अभिलाषा थी कि जो वाद विवाद उपस्थित है किसी प्रकार समाप्त हो, परन्तु इसी के साथ उनको यह भी आशंका थी कि ऐसा न हो कि महाराज कोई ऐसा दुस्साध्य कार्य्य बतलावें जिसका सिद्ध होना दुस्तर हो, इस कारण उनका असमञ्जस प्रतिक्षण अधिकाधिक हो रहा था।

अन्त को महाराज नेअकस्मात् मध्य आयतन में खड़े होकर फ्लोडोआर्डो का आह्वान किया। फ्लोडोआर्डो अत्यन्त सम्मान पूर्वक उनके समीप गया।

अंड्रियास। "सुन ऐ युवा मैं इस विषय में पूरी विवेचना कर चुका और अब अपनी अनुमति प्रगट करता हूँ। ज्ञात हुआ कि रोजाबिला तुझसे प्रीति करती है, और मैं उसको इस विचार से कदापि निरस्त न करूँगा, परन्तु रोजाबिला ऐसी बहुमूल्य वस्तु है कि मैं उसे किसी राही को (जो पहले पहल उसकी कामना करे) नहीं दे सकता। हाँ! इस नियम द्वारा यह बात संभव है, कि उस व्यक्ति में ऐसे पारितोषिक लाभ करने की योग्यता हो और उसीको रोजाबिला उसकी सेवाओं के बदले में दी जायगी, मेरी अनुमति है कि कोई व्यक्ति चाहे कैसी ही बड़ी सेवा क्यों न करे उसके लिये यह पुरस्कार पूर्ण- तया उचित होगा। अबतक तुमने जो सेवा इस राज्य की की है वह कुछ अधिक नहीं है, अब निस्सन्देह तुम्हारी कार्य- कारिणी शक्ति देखने का अवसर आता है, और वह यह है कि तुम कुनारी, मानफ़रोन, लोमेलाइनो के नाशक को पकड़ लाओ। अर्थात् तुम अविलाइनो को जिस प्रकार संभव हो यहाँ लाकर प्रस्तुत करो। यदि जीवित लास को तो अति उत्तम, नहीं तो उसका शिर ही सन्तोषजनक होगा।

इस संभाषण को सुन कर फ्लोडोआर्डो अवसन्न हो गया। उसके मुख का वर्ण पीला पड़ गया, एवं संज्ञा और चेतना सपाटू पर हो रहीं। अन्त को उसने अपने को ज्यों त्यों सभाल कर यह कहा "महाशय आप भली भाँति जानते हैं कि―" अंड्रियास। मैं भली भाँति जानता हूँ कि कितना कठोर कार्य मैंने तुमको सौंपा है। अनेक विषय में तो मैं कहता हूँ कि यदि मुझे कोई अकले एक पोत लेकर तुर्कों के सकल पोतों के बेड़े से सहस्रबार मार्ग काट कर निकल जाने को कहे तो इससे कहीं उत्तम समझूँगा कि अविलाइनो को जिसने स्वयं शैतान को अपना पक्षपाती बना रक्खा है पकड़ूँ! सच पूछिये तो मैंने आजतक ऐसा मनुष्य न देखा न सुना जो प्रत्येक स्थल पर उपस्थित और विद्यमान हो। और कहीं न हो। जिसे बहुत से लोगों ने देखा हो परन्तु कोई पहचान न सकता हो। जिसने बेनिस की विख्यात पुलीस को, गुप्त चरों और अनु- संधानकारियों को चकित कर दिया हो। और जिसके नामश्रवण से वेनिस के बड़े बड़े बीर कम्पित होते हों। और तो और मैं स्वयं अपने को उसकी यमधार से सुरक्षित नहीं समझता। अतएव इसीसे समझ लो कि मैं भली भाँति जानता हूँ कि कैसा कठोर कार्य तुमको सौंपा गया है। परन्तु यह भी स्मरण रक्खो कि उसके बदले में कैसी अप्राप्य और अलौकिक एवम् अनुपम वस्तु देने का वादा करता हूँ। परन्तु तुम तो कुछ शिथिल से ज्ञात होते हो, मौन क्यों हो अपना विचार क्यों नहीं प्रगट करते? फ्लोडोआर्डो मैं तुमको सदा विचार की दृष्टि से देखता आया हूँ, और मैंने तुममें कतिपय चिन्ह उत्कृष्टता और योग्यता के पाये हैं, अतएव इस कारण से मैंने तुमको इस कार्य पर नियुक्त किया है। यदि संसार में कोई व्यक्ति अबिलाइनो का सामना कर सकता है तो वह तुम हो। मैं तुमारे उत्तर की प्रतीक्षा करता हूँ"।

फ्लोडोआर्डो स्तब्ध और मौन आयतन में टहला किया। उसके मौन रहने का कारण प्रत्येक व्यक्ति समझ सकता है कि क्या था। महाराज ने उसके लिये एक ऐसा कठिन और गुरुतर कार्य निर्धारण किया था, जो सर्वथा भय और आशं- काओं से भरा हुआ था। यदि तनिक भी अबिलाइनो को ज्ञात होता कि फ्लोडोआर्डो ने उसके पकड़ने के लिये बीड़ा उठाया है तो उस अनाथ का पूरा अभाग्योद हो जाता। परन्तु फ्लोडोआर्डो अपने हृदय से विवश था। जा नृपति महाशय ने रोजाविला के देने का भार इसी शर्त पर रक्खा, तो वह सिवाय स्वीकार करने के और क्या कर सकता था। कुछ काल उपरान्त उसने रोजाबिला को एक बार अवलोकन किया और फिर अंड्रियास की ओर बढ़ा।

अंड्रियास। कहो फ्लोडोआर्डो तुमारे हृदय ने क्या निश्चित किया"।

फ्लोडोआर्डो। "आप शपथ करके कथन कर सक्ते हैं कि यदि मैं अबिलाइनों को आपके अधिकार में कर दूँ तो रोजाबिला का परिणय मेरे साथ कर दीजियेगा"।

अंड्रियास―"निस्सन्देह परन्तु बिना इसके कदापि नहीं।

रोजाबिला―(शोकमय उछवास भर कर) "फ्लोडोआर्डो मैं डरता हूँ। कि कहीं इसका फल अथवा परिणाम अनिष्टकर न हो, तुम जानते हो कि अविलाइनो कैसा सुचतुर छद्मी और उसी के साथ दुष्ट है, परमेश्वर के लिये फ्लोडोआर्डो अपनी भलीभाँति रक्षा करो, क्योंकि यदि कहीं उस दुष्टात्मा से और तुम से मुठभेड़ हुई तो फिर उसकी यमधार जिससे"।

फ्लोडोआर्डो। (उसे शीघ्रतापूर्वक रोक कर) "अच्छा रोजाबिला तुम चुप रहो, भला मुझे अपने कार्य सिद्धि की आशा तो करने दो। महाराज हाथ लाइये, और दृढ़ प्रतिज्ञा कीजिये कि जहाँ अविलाइनो आप के अधिकार अथवा वश में आजाय फिर कोई विषय मुझको रोजाबिला का पति होने में न बाधक होगा"। अंड्रियास। "शपथ करता हूँ कि तुम वेनिस के इस महानशत्रु को मेरे पास जीवित अथवा निर्जीन लाओ, फिर कोई विषय रोजाबिला को तुम्हारी पत्नी होने में न बाधक होगा, इस कथन की पुष्टता और दृढ़ता के लिये मैं तुमको अपना हाथ देता हूँ"।

फ्लोडोआर्डो ने महाराज के हाथ को अपने हाथ में लेकर तीन बार हिलाया, और इसके बाद रोजाबिला की ओर देख कर कुछ कहने ही वाला था, कि अचाञ्चक फिर पड़ा और निज कपालदेश ताड़नपूर्वक परिसर में शीघ्र शीघ्र टहलने लगा। इतने में सेण्टमार्क के गिरजे से पाँच बजने का शब्द श्रवणगत हुआ।

फ्लोडोआर्डो। ऐं; समय नष्ट होता है, अब विलम्ब न करना चाहिये (नृपति महाशय की ओर प्रवृत्त होकर) मैं चौबीस घण्टे के भीतर इसी राजभवन में अविलाइनो को लाकर उपस्थित करूँगा।"

अंड्रियास ने संशय पूर्वक अपना शिर हिलाया, और कहा "लड़के तुझे अपनी बात और प्रतिज्ञा का इतना भरोसा न करना चाहिये, मैं तेरी कार्यकारिणी शक्ति पर अधिक भरोसा रक्खूँगा।"

फ्लोडोआर्डो―(गम्भीरता और दृढ़ता के साथ) "अच्छा अब जो कुछ हो सो हो या तो मैं प्रतिज्ञापालन करूँगा या फिर भवदीय देहली पर पाँव न रक्खूँगा, मैंने उस दुष्टका कुछ अनुसन्धान लगाया है और मुझे आशा है कि अगले दिन आपको इसी स्थल पर और इसी समय एक कौतुक अवलो- कन कराऊँगा परन्तु यदि उसके बदले में मुझ पर कोई आपदा आवे तो मुझे उसके विषय में कुछ वक्तव्य नहीं हैं परमेश्वर की जो अभिलाषा हो सो हो।" अंड्रियास―"स्मरण रक्खो कि अनुपयुक्त शीघ्रता प्रत्येक कार्य को विनष्ट करती है, ऐसा न हो कि इस समय तुमने जो कुछ थोड़ी बहुत सिद्धि लाभ की है वह भी तुम्हारी आतुर- ताके कारण नष्ट हो जावे।

फ्लोडोआर्डो―शीघ्रता महाशय! आप जानते ही नहीं कि जिस व्यक्तिका जीवन ऐसी बुरी रीति से बीता हो, जैसा मेरा व्यतीन हुआ है, अथवा जिसने इतनी आपत्तियाँ सहन की हों, जो मेरे भाग में आई हैं, वह जीवन पर्यन्त पुनः किसी बात में शीघ्रता न करेगा।"

रोजाबिला―(फ्लोडोआर्डो का कर ग्रहण कर) "पर प्यारे परमेश्वर के लिये तुम अपनी शक्ति पर इतना भरोसा मत रक्खो, मेरे पितृव्य तुमसे स्नेह करते हैं, उनकी शिक्षा अत्यन्त उपयुक्त है, तुमको अविलाइनों के यमधार से सावधान रहना उचित है।"

फ्लोडोआर्डो सब से उत्तम रीति उसकी यमधार से रक्षित रहने की यह है कि उसके यमधार को कार्य में परिणत होने का अवसर न दे, अतएव इस कार्य को चौबीस घण्टे में समाप्त हो जाना चाहिये नहीं फिर कभी न हो सकेगा। अब मैं नृपति महाशय आप से बिदाकी याँचना करता हूँ परमेश्वर ने चाहा तो कल्ह आप पर प्रमाणित कर दूँगा, कि प्रेमी के लिये किसी कठिन कार्य के करने पर उतारू हो जाना असंभव नहीं।

अंड्रियास―"सत्य है, पर उतारू होजाने से काम नहीं चलता, प्रयोजन तो पूरा करने से है।"

फ्लोडोआर्डो। "हा हन्त! यह बात तो―इतना ही कह कर वह रुक गया और फिर अत्यंत अनुराग से रोजाबिला को देखने लगा, उस समय उसकी आकृति से स्पष्ट प्रगट होता था, कि प्रतिक्षण उसकी उद्विग्नता अधिक होती जाती है, पर थोड़े ही समय बाद उसने पुनः महाराज से संभाषण आरम्भ किया।

फ्लोडोआर्डो―"महाराज आप मेरी उमंग को कम न होने दें, बरन मुझ को इस बात का उद्योग करने दें कि मैं आपको भी अपनी सिद्धि की आशा दिला सकता हूँ या नहीं। मेरी पहली प्रार्थना यह है कि कल आप ज्योनार का उत्तम उपकरण करें, और इसी ठौर बेनिस के संपूर्ण गण्य मान्य तथा प्रख्यात लोगों को चाहे स्त्री हों अथवा पुरुष बुलवायें, क्योंकि यदि मेरी मनोकामना सफल हो तो इस्से सुन्दर दूसरी बात नहीं, कि वह लोग मेरी कार्यकारिणी शक्ति को अपनी आँखों अवलोकन करें। विशेषतः पुलीस के माननीय कर्म्मचारियों को अवश्य बुलवाइयेगा, इसलिये कि उनका सामना उस अबिलाइनो से हो जाय, जिसकी खोज में उन्होंने व्यर्थ अपना समय बहुत दिनों तक नष्ट किया।

अंड्रियास ने उसे कुछ काल पर्यंत आश्चर्य और संशय की दृष्टि से देखकर प्रतिज्ञा की कि सम्पूर्ण लोग उसकी इच्छा- नुसार बुलाये जावेंगे।

फ्लोडोआर्डो। "मैंने यह भी सुना है कि जब से कुनारी का देहांत हुआ, आप में और पादरी गांज़ेगा में मिलाप हो गया है, और उन्होंने आपका समाधान कर दिया है, कि कुनारी ने जितने दोषारोपण परोजी कान्टेराइनों और उनके साथी अपर लोगों पर किये थे, वे सब निर्मूल थे। बर्तमान काल में मैंने अपनी यात्रा में इन नववयस्कों की बहुत प्रशंसा सुनी है, अतएव मैं चाहता हूँ कि वह भी इसी अवसर पर उपस्थित रह कर मेरी कार्यकारिणी शक्ति को अवलोकन करें तो अत्यन्त डाचत हो। यदि आपको इसमें कुछ आपत्ति न हो तो उन्हें भी बुलवा लीजियेगा"। अंड्रियास। "बहुत अच्छा यह भी किया जायगा"।

फ्लोडोआर्डो। "एक बात और है जिसको मैं भूल ही गया था किसी व्यक्ति को इस निमन्त्रण का समाचार ज्ञात न हो जावे। उस समय आप उचित होगा कि गजभवन के चारों ओर और द्वार पर पहरा बैठालें क्योंकि सच पूछिये तो यह अबिलाइनो ऐसा दुष्टात्मा है कि जितनी सावधानी उसके विषय में की जाय उत्तम है। मेरी अनुमति है कि यह भी उचित और उपयुक्त होगा कि द्वारपालकों और प्रहरियों की बन्दूकें भी भरी हों और उनको इस विषय की पूर्ण शिक्षा दे दीजाय कि वे प्रत्येक व्यक्ति को आने दें परन्तु किसी को बाहर न जाने दें"।

अंड्रियास। "ये सब बातें तुम्हारी प्रार्थनानुसार की जायँगी"।

फ्लोडोआर्डो―"अब मुझे कुछ नहीं कहना है, मैं बिदा होता हूँ, प्रणाम, रोज़ाबिला कलह पाँच बजे फिर तुम से मिलूँगा और नहीं तो फिर कभी नहीं"।

यह कह कर फ्लोडोआर्डो आयतन से द्रुतवेग से निकल गया। अंड्रियास ने अपना शिर हिलाया, और रोजाबिला अपने पितृव्य के अंक से लिपट कर उच्चस्वर से रुदन करने लगी।