सामग्री पर जाएँ

संगीत-परिचय भाग १/१२: ताल सरगम (राग यमन)

विकिस्रोत से
संगीत-परिचय भाग १
रामावतार 'वीर'

दिल्ली: रामलाल पुरी, पृष्ठ ३४ से – ३९ तक

 
पाठ १२
राग यमन कल्याण

१. इस राग में सात स्वर लगते हैं।

२. इस राग में म॑ तीव्र बाकी सब स्वर शुद्ध लगते हैं।

३. इस राग का वादी स्वर "ग" है।

४.इस राग का संवादी स्वर "नी" है।

५. इस राग के गाने बजाने का समय रात्री का पहला पहर है।

आरोही = स रे ग म॑ प ध नी सं
अवरोही = सं नी ध प म॑ ग रे स
पकड़ = ऩी रे ग रे स प म॑ ग रे स


ताल सरगम राग यमन कल्याण

ताल तीन

स्थाई


समतालीखालीताली


x





रे






रे

नी रे




सं नी

ऩी ऩी रे रे




म॑ म॑

रे

अन्तरा




सं सं
सं रें सं
रे




नी रें सं
गं रें सं नी
ऩी रे



नीनी नी



नी
म॑ म॑



राग यमन कल्याण

(ताल तीन मात्रे १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

प्रभ मेरा अन्तरयामी जान।
कर किरपा पूरन परमेसर, निहचल सच शब्द निसाण॥
हर बिन आन न कोई समरथ, तेरी आस तेरा मन तान॥
सरब घटा के दाते स्वामी, दे सो पहरन खाण॥
सुरत सत चतराई शोभा, रूप रंग धन मान॥
सरब सुख आनन्द "नानक", जप राम नाम कल्याण॥

राग यमन कल्याण

(तीन ताल मात्रे १६)

स्थाई


समतालीखालीताली


x

धा धिं धिंधा



रे ऩीरे
यामी

रे


नीसंनी
ब्दनिसा




धा धिं धिंधा




जा

ऩीरे
मे

म॑




धातिंतिंता
रे
प्रभुमेरा

ऩीऩीरेरे
कि

ऩारे
नह




ताधिं धिंधा
म॑रे
अं


पापू



अन्तरा






सं — सं —
को — ई —

रें सं नी ध
री — म न

रे ग रे —
दा — ते —

नी सं नी ध
खा — — —






नी रें सं —
स म र थ

ध — प —
ता — न —

ऩी रे स—
स्वा — मी —

प म ग —
— — — न



प प ग ग
ह र बि न

नी — नी नी
ते — री आ

ग ग रे—
स र्व था —

ऩी — रे—
दे — सो —



प — ध प
आ — न ना

— ध नी सं
— स ते —

ग — प —
ढा — के —

ग — प —
प ह र न


राग यमन कल्याण

ताल तीन

शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

सब कुछ जीवत को व्यौहार ।
मात-पिता, भाई, सुत, बांधप,
अर पुन गृह की नार ||
तन ते प्रान होत जब न्यारे,
प्रेत प्रेत पुकार ।
आध घड़ी कोऊ नहिं राखै,
घरतें देत निकार ।।
मृग-तृस्ना ज्यों जग रचना यह,
देखौ हृदैं बिचार ।
कह 'नानक' भजु राम नाम नित,
जां ते होत उधार ॥
राग कल्याण

(तीन ताल मात्रा १६)

स्थाई


समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा



म॑ ग रे ग
को — व्यो —

ग — ग रे
ई — सु त

नी सं नी ध
ना — आ —



धा धि धिं धा



म॑ — प —
हा — र —

ऩी रे स —
ब न्ध प —

प म॑ ग—
आ — र —



धा तिंन तिंन ता
म॑ प नी ध
स ब कु छ

ग — ग रे
मा — त पि

ऩी ऩी रे रे
अ रु पु नि



ता धिं धिं धा
म॑ प म॑ प
जी — व त

ग म॑ प —
ता — भा —

ग — प —
गृ ह की —

अन्तरा






सं सं सं सं
ओ त ज ब

नी सं नी ध
का — आ —

ग म॑ ग रे
ऊ — ना —

नी सं नी ध
का — आ —






नी रें सं —
नि या रे —

प — — —
रे — — —

ऩी रे स—
रा — ख त

प म॑ ग —
आ — र —



ग ग प —
त न ते —

सं — नी ध
टे — र त

ग — ग रे
आ — ध घ

ऩी ऩी रे—
घ र से —



प ध प ध
प्रा — ण हो

नी सं रें सं
प्रे — त पु

ग म॑ प —
ड़ी — को —

ग — प ध
दे — त नी



राग यमन कल्याण

ताल तीन मात्रे १६

शब्द कबीर

राम सिमर पछितायेंगा मनुआ

पापी ज्यूड़ा लोभ करत है, आज काल उठ जायेंगा॥
लालच लागे भरम गंवाया, माया भरम भुलायेंगा।
धन जोबन का गरभ न कीजै, कागद ज्यों गल जायेंगा॥
ज्यों जम आये केश गह पटके, ता दिन कछू न बसायेंगा।
सिमरन भजन दया नहीं कीनी, तौ मुख चीटां खायेंगा॥
धर्मराय जब लेखा मांगे, क्या मुख ले के जायेंगा॥
कहत 'कबीर' सुनो रे सनतो, साध संगत तर जायेंगा॥

राग यमन कल्याण

(ताल तीन मात्रा १६)

स्थाई


समतालीखालीताली


x
धा धिन धिन धा



प म॑ प —
ता यें गा—

प — ग रे
लो — भ क

नी सं नी ध
जा यें गा —



धा धिन धिन धा



ग रे स —
म नु आं —

ना रे स —
र त है —

प म ग —
आ — — —



धा तिन तिन ता
सं — नी ध
रा — म सु

ऩी — रे रे
पा — पी —

ग —ग ग
आ — ज का



ता धिन धिन धा
म॑ प ग म॑
म र प छ

ग रे ग —
ज्यू — डा —

प प ध प
— ल उ ठ

अन्तरा






सं सं सं सं
ज न म गं

सं रें नी सं
ला यें गा —

प म॑ ग रे
ग र भ न

नी सं नी ध
जा यें गा —






नी रें सं —
वा — यो —

नी ध प —
आ — — —

ऩी रे स —
की — जे —

प म॑ ग —
आ — — —



ग ग — प
ला — ल च

नी — नी —
मा — या —

प प प —
ध न जो —

ग — ग ग
का — ग द



प — ध —
ला गे —

नी नी ध नी
भ र म भु

म॑ प ग म॑
ब न का —

प — ध प
ज्यों ग ल