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संगीत-परिचय भाग १/१३: राग बिलावल

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संगीत-परिचय भाग १
रामावतार 'वीर'

दिल्ली: रामलाल पुरी, पृष्ठ ४० से – ४५ तक

 
पाठ १३
राग बिलावल
  1. इस राग में सात स्वर लगते हैं।
  2. इस राग में सब स्वर शुद्ध लगते हैं।
  3. इस राग का वादी स्वर "ध" है।
  4. इस राग का संवादी स्वर "ग" है।
  5. इस राग के गाने बजाने का समय प्रातःकाल है है।
  6. आरोही = स रे ग म प ध नी सं
अवरोही = सं नी ध प म ग रे स
पकड़ = सं नी ध प, म ग, रे स


राग बिलावल

(ताल सरगम तीन ताल)

स्थाई

समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा

रे ग म प



धा धि धिं धा

ग म रे स



धा तिंन तिंन ता
प नी सं रे



ता धिं धिं धा
नी संध प

अन्तरा



सं— सं—
रे ग म प



गं रें सं सं
ग म रे स


प — प प
प नी सं रें


नी — नी —
नी सं ध प



राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

स्वामी सरन परियो दरवारे।
कोटि अपराध खण्डन के दाते,तुझ बिन कौन उभारे ।।
खोजत खोजत बहु परकारे, सरब अरथ बिचारे ।
साध संग परम गत पाइये, माया रच बन्धारे ।।
चरन कमल संग प्रीत मन लागी, सुरजन मिले प्यारे।
"नानक" आनन्द करे हर जप जप, सगले रोग निवारे।।
राग बिलावल

(तीन ताल मात्रा १६)

स्थाई


समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा

सं — ध प
स्वा — मी —

स — ग म
को — टि अप

प — नी नी
तु झ बि न



धा धि धिं धा

म ग म रे
स र न प

प — नी नी
रा — ध खं

सं — सं सं
कौ — न उ



धा तिंन तिंन ता

ग म प म
रि यो द र

सं — सं —
ड न के —

पनी संरें संनी धप
भा — — —



ता धिं धिं धा

ग म रे स
बा — रे —

नी रें सं —
दा — ते —

म — ग —
रे — — —

अन्तरा


प — प प
खो —ज त

प — प प
स र व अ

गं — गं रें
सा — ध सं

ग — ग ग
मा — या —


नी — नी नी
खो — ज त

नी — सं —
र्थ — बि —

— रें रें सं
ग — — प

प — नी नी
र च ब न


सं सं सं सं
ब हु प र

प नी सं रें
चा — आ —

प नी सं रें
र म ग त

पनी संरें संनी धप
धा आ — —


नी रें सं —
का —रे —

सं नी ध प
रे — ऐ —

सं नी ध प
पा इ ये —

म — ग —
रे — ऐ —


राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)

शब्द गुरु नानक(श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

ऊच अपार बेअंत स्वामी।
कौन जाणे गुण तेरे ॥
गावते उधरे सुनते उधरे ।
बिनसे पाप घनेरे ॥
पसू परेत मुगध को तारे ।
पाहन पार उतारे ॥
'नानक दास', तेरी सरनाई।
सदा सदा बलिहारे ॥
राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)

शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)

स्थाई

समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा



सं — सं नी
पा — र बे

ग म रे स
ने — गु न



धा धि धिं धा



सं रे नी सं
अं — त स्वा

रे ग म प
ते — ऐ —



धा तिंन तिंन ता



ध प ग म
— — मी —

सं — ध प
रे — — —



ता धिं धिं धा
रे ग प ध
ऊ — च अ

रे ग म प
कौ — न जा

अन्तरा





सं — सं —
उ ध रे —

नी सं ध प
पा — प घ





धनी संरें नीसं —
सु न ते —

रे ग म प
ने — ऐ —





ध ध प —
उ ध रे —

ग म रे स
ऐ — रे —


प — नी नी
गा — व त

नी सं गं रें
बि न से —




(
राग बिलावल

( तीन ताल )

भजन कबीर

बीत गये दिन भजन बिना रे ।
बाल अवस्था खेल गँवायो,
जब जवानी तब मान घना रे ॥१॥
लाहे कारन मूल गँवायो ।
अजहुँ न गई मन की तृष्ना रे ॥२॥
कहत 'कबीर' सुनो भई साधो ।
पार उतर गये संत जना रे ॥३॥
राग बिलावल

(ताल तीन मात्रा १६)

स्थाई

समतालीखालीताली


x
धा धिं धिं धा




रे ग म प
भ ज न बि



धा धि धिं धा




ग म रे स
ना — रे —



धा तिं तिं ता

प नी सं रे
बी — त ग



ता धिं धिं धा

नी सं ध प
ये — दि न

अन्तरा





गं — रें रें
खे — ल गँ

रे ग म प
मा — न घ





सं नी सं —
वा — यो —

ग म रे स
ना — रे —


प — प प
बा — ल अ

प नी सं रें
ज ब जवा —


नी — सं —
व स था —

नी सं ध प
— नी त ब