पाठ १३
राग बिलावल
- इस राग में सात स्वर लगते हैं।
- इस राग में सब स्वर शुद्ध लगते हैं।
- इस राग का वादी स्वर "ध" है।
- इस राग का संवादी स्वर "ग" है।
- इस राग के गाने बजाने का समय प्रातःकाल है है।
- आरोही = स रे ग म प ध नी सं
- अवरोही = सं नी ध प म ग रे स
- पकड़ = सं नी ध प, म ग, रे स
राग बिलावल
(ताल सरगम तीन ताल)
स्थाई
समतालीखालीताली
x
धा धिं धिं धा
रे ग म प
|
२
धा धि धिं धा
ग म रे स
|
०
धा तिंन तिंन ता
प नी सं रे
|
३
ता धिं धिं धा
नी संध प
|
सं— सं—
रे ग म प
|
गं रें सं सं
ग म रे स
|
प — प प
प नी सं रें
|
नी — नी —
नी सं ध प
|
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
स्वामी सरन परियो दरवारे।
- कोटि अपराध खण्डन के दाते,तुझ बिन कौन उभारे ।।
- खोजत खोजत बहु परकारे, सरब अरथ बिचारे ।
- साध संग परम गत पाइये, माया रच बन्धारे ।।
- चरन कमल संग प्रीत मन लागी, सुरजन मिले प्यारे।
- "नानक" आनन्द करे हर जप जप, सगले रोग निवारे।।
राग बिलावल
(तीन ताल मात्रा १६)
स्थाई
समतालीखालीताली
x
धा धिं धिं धा
सं — ध प
स्वा — मी —
स — ग म
को — टि अप
प — नी नी
तु झ बि न
|
२
धा धि धिं धा
म ग म रे
स र न प
प — नी नी
रा — ध खं
सं — सं सं
कौ — न उ
|
०
धा तिंन तिंन ता
ग म प म
रि यो द र
सं — सं —
ड न के —
पनी संरें संनी धप
भा — — —
|
३
ता धिं धिं धा
ग म रे स
बा — रे —
नी रें सं —
दा — ते —
म — ग —
रे — — —
|
- अन्तरा
प — प प
खो —ज त
प — प प
स र व अ
गं — गं रें
सा — ध सं
ग — ग ग
मा — या —
|
नी — नी नी
खो — ज त
नी — सं —
र्थ — बि —
— रें रें सं
ग — — प
प — नी नी
र च ब न
|
सं सं सं सं
ब हु प र
प नी सं रें
चा — आ —
प नी सं रें
र म ग त
पनी संरें संनी धप
धा आ — —
|
नी रें सं —
का —रे —
सं नी ध प
रे — ऐ —
सं नी ध प
पा इ ये —
म — ग —
रे — ऐ —
|
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक(श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
ऊच अपार बेअंत स्वामी।
- कौन जाणे गुण तेरे ॥
- गावते उधरे सुनते उधरे ।
- बिनसे पाप घनेरे ॥
- पसू परेत मुगध को तारे ।
- पाहन पार उतारे ॥
- 'नानक दास', तेरी सरनाई।
- सदा सदा बलिहारे ॥
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
शब्द गुरु नानक (श्री गुरू ग्रन्थसाहब)
स्थाई
समतालीखालीताली
x
धा धिं धिं धा
सं — सं नी
पा — र बे
ग म रे स
ने — गु न
|
२
धा धि धिं धा
सं रे नी सं
अं — त स्वा
रे ग म प
ते — ऐ —
|
०
धा तिंन तिंन ता
ध प ग म
— — मी —
सं — ध प
रे — — —
|
३
ता धिं धिं धा
रे ग प ध
ऊ — च अ
रे ग म प
कौ — न जा
|
सं — सं —
उ ध रे —
नी सं ध प
पा — प घ
|
धनी संरें नीसं —
सु न ते —
रे ग म प
ने — ऐ —
|
ध ध प —
उ ध रे —
ग म रे स
ऐ — रे —
|
प — नी नी
गा — व त
नी सं गं रें
बि न से —
|
(
राग बिलावल
( तीन ताल )
भजन कबीर
- बीत गये दिन भजन बिना रे ।
- बाल अवस्था खेल गँवायो,
- जब जवानी तब मान घना रे ॥१॥
- लाहे कारन मूल गँवायो ।
- अजहुँ न गई मन की तृष्ना रे ॥२॥
- कहत 'कबीर' सुनो भई साधो ।
- पार उतर गये संत जना रे ॥३॥
राग बिलावल
(ताल तीन मात्रा १६)
स्थाई
समतालीखालीताली
x
धा धिं धिं धा
रे ग म प
भ ज न बि
|
२
धा धि धिं धा
ग म रे स
ना — रे —
|
०
धा तिं तिं ता
प नी सं रे
बी — त ग
|
३
ता धिं धिं धा
नी सं ध प
ये — दि न
|
गं — रें रें
खे — ल गँ
रे ग म प
मा — न घ
|
सं नी सं —
वा — यो —
ग म रे स
ना — रे —
|
प — प प
बा — ल अ
प नी सं रें
ज ब जवा —
|
नी — सं —
व स था —
नी सं ध प
— नी त ब
|