सङ्कलन/१ तारीख से दिन निकालने की रीति

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तारीख से दिन निकालने की रीति

यह जानने की बहुधा आवश्यकता हुआ करती है कि किस तारीख को कौन दिन था अथवा किस तारीख़ को कौन दिन होगा। इसके लिए पञ्चाङ्ग और जन्त्रियाँ ढूँढ़नी पड़ती हैं और उनके न मिलने से दिन जानने में देरी होती है। यदि दो चार महीने आगे अथवा पीछे की तारीख़ का दिन जानना होता है तो इसका पता शीघ्र लग जाता है; परन्तु सौ दो सौ वर्ष आगे पीछे के किसी दिन को जानने की जब आवश्यकता होती है, तब बड़ी कठिनाई आ पड़ती है; इसलिए तारीख से दिन जानने की एक सरल रीति हम यहाँ पर लिखते हैं।

जिस तारीख़ का दिन जानना हो, उस तारीख़ समेत उस वर्ष के जितने दिन बीते हों, उनको अलग रक्खो। फिर उस वर्ष के पिछले सन् को सवाया करके जोड़ दो। सवाया करने में यदि पूरा अङ्क न आवे तो उस अपूर्ण अङ्क को छोड़ दो। जिस वर्ष के जिस महीने की जिस तारीख़ का दिन निकालना है, उस वर्षवाले शतक के पहले के जितने शतक ४०० से कट जाएँ, उतने कम कर के, बचे हुए शतकों को पहले के जोड़ से घटा दो। जो कुछ बचे उसमें ७ का भाग दो। भाग देने से यदि— [  ]

० बचे तो रविवार ४ बचे तो गुरुवार
{{{1}}} सोमवार {{{1}}} शुक्रवार
{{{1}}} मङ्गलवार {{{1}}} शनिवार
{{{1}}} बुधवार होगा।

उदाहरण—कल्पना करो कि आज सन् १९०१ के दिसम्बर की १८ तारीख़ है; और आज बुधवार है। आज समेत इस वर्ष के ३५२ दिन हुए। इन दिनों में १९०१ के पिछले सन् १९०० का सवाया (१९००+४७५) २३७५ जोड़ने से २७२७ हुए। १९०० तक १९ शतक हुए, जिनमें से ४ शतक अर्थात् चौथा, आठवाँ, बारहवाँ और सोलहवाँ ४०० से कट जाता है, इसलिए १९ में से ४ निकालने पर १५ बचे। इन १५ को पहले जोड़ २७२७ में से घटाने से २७१२ हुए। इन २७१२ में ७ का भाग देने से—

७ ) २७१२ ( ३८७
७ ) २७२१
७ ) २७१——
६१
५६
५२
४९

३ बचे। ३ बचने से बुधवार होता है। और आज बुधवार ही है, इसलिए दिन निकालने की यह रीति ठीक है। [फरवरी १९०३.