सामग्री पर जाएँ

सङ्कलन

विकिस्रोत से
संकलन  (1931) 
महावीर प्रसाद द्विवेदी

काशी: भारतीय भंडार, पृष्ठ मुखपृष्ठ से – आवरण-पृष्ठ तक

 
संकलन

(चुने हुए लेखों का संग्रह)



महावीरप्रसाद द्विवेदी




भारती भण्डार, काशी

१९८८

ग्रंन्थ-संख्या २५
प्रकाशक-
भारती-भंडार,
राम घाट, बनारस सिटी।




प्रथम संस्करण

मूल्यम




मुद्रक

द० ल० निघोजकर,

श्री लक्ष्मीनारायण प्रेस,

बनारस सिटी।

निवेदन

पूज्य आचार्य पंडित महावीरप्रसाद जी द्विवेदी के भिन्न भिन्न विषयों पर लिखे हुए लेखों का एक बड़ा संग्रह "विचार-विमर्श" के नाम से, क्रम के विचार से इस पुस्तक से पहले और समय के विचार से इस पुस्तक के साथ ही, प्रकाशित हुआ है। द्विवेदी जी के इस प्रकार के लेख-संग्रहों के सम्बन्ध में हमें जो कुछ कहना था, वह विचार-विमर्श के आरम्भ में निवेदित हो चुका है। अतः यहाँ उन बातों को दोहराने अथवा उन्हीं के समान कुछ और बातें कहने की आवश्यकता नहीं जान पड़ती। इस "संकलन" में द्विवेदी जी के उन फुटकर, परन्तु फिर भी उपयोगी तथा शिक्षाप्रद, लेखों का संग्रह है जो आपने समय समय पर "सरस्वती" में प्रकाशित किये थे। विचार-विमर्श में संगृहीत लेखों के समान इन लेखों का भी बहुत कुछ स्थायी महत्व तथा मूल्य है; और इस दृष्टि से यह संग्रह भी, आशा है, हिन्दी संसार में अपने लिये वह विशेष स्थान प्राप्त करेगा, जिसका यह वस्तुतः अधिकारी है।

द्विवेदी जी के इन दोनों लेख-संग्रहों को प्रकाशनार्थ प्राप्त करके यह भांडार कितना अधिक उपकृत हुआ है और कृतज्ञता का कितना अधिक भाव रखता है, यह शब्दों में व्यक्त करने की बात नहीं है। वास्तविक कृतज्ञता का द्योतक तो मौन होता है; अतः हमारे लिये भी वही मौन भाव ग्रहण करना श्रेयस्कर है। किमधिकम्।

काशी प्रकाशक।
मकर संक्रान्ति १९८८

विषय-सूची

नंबर नाम पृष्ठ
१— तारीख से दिन निकालने की रीति ...
२— प्राणघातक माला ...
३— कोरिया और कोरिया-नरेश ...
४— कांग्रेस के कर्ता ... १७
५— क्रोध ... २४
६— स्वाधीनता की भूमिका ... २८
७— सब से बड़ा हीरा ... ४८
८— जापान की शिक्षा-प्रणाली ... ५४
९— जापान के स्कूलों में जीवन चरित-शिक्षा ... ५७
१०— एक तरुणी का नीलाम ... ५९
११— गूँगों और बहिरों के लिए स्कूल ... ६३
१२— लोभ ... ७०
१३— चीन के विश्वविद्यालयों की शिक्षा-प्रणाली ... ७६
१४— अमेरिका के गाँव ... ८२
१५— पानी के भीतर चलनेवाले धूमपोत ... ९१
१६— विलायत में उपाधियों का क्रय-विक्रय ... ९८
१७— व्योमयान द्वारा मुसाफिरी ... १०४
१८— तुर्कों का उत्थान और पतन ... १११
नंबर नाम पृष्ठ
१९— भारत में शिक्षा-प्रचार ... १२२
२०— स्वेज़-नहर ... १३१
२१— माइसोर में सोने की खानें ... १३७
२२— निष्क्रिय-प्रतिरोध का परिणाम ... १४५
२३— भारतवर्ष में नशेबाज़ी ... १५६
२४— समुद्र के भीतर तार डालना ... १६१
२५— मक्खियों से हानि ... १६९
२६— भारत के पहलवानों का विदेश में यशोविस्तार ... १७३
 






सङ्कलन

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।