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  • नागगण तुम्हारी सर्वदा रक्षा करें। पितरगण, गुह्यक ( कुबेर के कोष के रक्षक ), यक्ष ( कुबेर के सिपाही ), देवियों, भूतगण, सातो माताएँ अर्थात् शक्तियाँ सभी तुम्हारा...
    ५७२ B (७९४ शब्द) - ०४:०४, २१ मई २०२१
  • राजा ने पूर्नाहुति दी। उस काल सुर नर मुनि सब राजा को धन्य धन्य कहने लगे औ यक्ष गंधर्व किन्नर बाजन बजाय बजाय, जस गाय गाय फूल बरसावने। इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी...
    ४४१ B (१,४९० शब्द) - ०८:४०, ५ दिसम्बर २०२१
  • यथामति व्यवहृत होने पर ‘दिव्य’ कहलाया । देव——योनि हैं-विद्याधर, अप्सरा, यक्ष, रक्षस्, गन्धर्व, किन्नर, सिद्ध, गुहयक,भूत और पिशाच । इनमें पिशाचादि--जो...
    ४३६ B (१,८३४ शब्द) - १४:३०, ८ मई २०२१
  • में उनके जग-बंद्य चारण चिह्न हैं। दूत मेघ को हनुमान की उपमा दी गई है और यक्ष की स्त्री को सीता की। कालिदास को उज्जयिनी से प्रेम था, उसका आश्रयदाता भी...
    ७८१ B (१,७६१ शब्द) - ०५:४१, ११ जून २०२३
  • का राजा बलि, जिसका जस धर्म धरनी में अब तक छाय रहा है, कि प्रभु ने बावन अवतार ले राजा बलि को छल पाताल पठाया। उस बलि का ज्येष्ठ पुत्र महापराक्रमी बड़ा...
    ४४७ B (५,०६० शब्द) - १७:०४, ४ दिसम्बर २०२१
  • भी इसी से [ २५६ ] १९९ तेरहवाँ सर्ग। उत्पन्न हुआ है। मत्स्य और कच्छप आदि अवतार लेनेवाले विष्णु के रूप की तरह यह भी अपना रूप बदला करता है-कभी ऊँचा उठ जाता...
    ३८७ B (५,५५९ शब्द) - ०६:२३, १८ सितम्बर २०२१
  • वियोग-दुःख-वर्णन में प्रायः समान ही शब्द-व्यय किया है। कालिदास ने मेघदूत का आरंभ यक्ष की विरहावस्था से करके उत्तर-मेघ में यक्षिणीं के विरह का वर्णन किया है। उनके...
    ४१७ B (१८,९८५ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
  • कैसे उबार होगा। [२६४] धरम के सेतु जग मंगल के हेतु, ⁠⁠भूमि-भार हरिबे को अवतार लियो नर को। नीति औ प्रतीति-प्रीति-पाल चालि प्रभु मान, ⁠⁠लोक बेद राखिबे को...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१