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अयोध्या का इतिहास/उपसंहार/(ख) सूर्यवंश-दिष्ट वंश

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प्रयाग: हिंदुस्तानी एकेडमी, पृष्ठ १८७ से – १८८ तक

 

 

उपसंहार (ख)
सूर्यवंश
दिष्ट-वंश

१ मनु
२ इक्ष्वाकु
३ दिष्ट या नेदिष्ट
४ नाभाग
५ भलन्दन
६ वत्सप्री
७ प्रांशु
८ प्रजानि
९ खनित्र
११ विंश
१२ विविंश
१३ खनिनेत्र
१४ करन्धम
१५ अवीक्षित
१६ मरुत्त []
१७ नारिष्यन्त

१८ दम
१९ राज्यवर्द्धन
२० सुधृति
२१ नर
२२ केवल
२३ बन्धुमत्
२४ वेगवत्
२५ बुद्ध
२६ तृणविन्दु
२७ विशाल
२८ हेमचन्द्र
२९ सुचन्द्र
३० धूम्राश्व
३१ सृञ्जय
३२ सहदेव
३३ कृशाश्व (कुशाश्व वा॰ रा॰)
३४ सोमदत्त
३५ जन्मेजय (काकुत्स्थ वा॰ रा॰)
३६ प्रमति या सुमति (अयोध्या
    के दशरथ का समकालीन)

वा॰ रा॰ के अनुसार राजा विशाल इक्ष्वाकु और अलंबुषा के पुत्र थे, [] और इन्होंने विशाला नगरी बसाई थी।

जब विश्वामित्र राम लक्ष्मण को साथ लिये हुये महाराज जनक के यज्ञबाट को जाते थे तो एक रात विशाला में रहे थे और राजा सुमति उनकी पहुनाई की थी।

  1. शतपथ ब्राह्मण १३, ५, ४६ में लिखा है कि विशाल से पहिले यहाँ अयोगव राजा मरुत्त राज करता था। मनुस्मृति में अयोगव उसे कहते हैं जो शूद्र पुरुष और वैश्य पत्नी से उत्पन्न हो,

    शूद्रादयोगवः क्षत्ता चाण्डाला अधमो नृणाम्।
    वैश्य राजन्य विप्रातु जायन्ते वर्णसंकराः॥

  2. बालकाण्ड, ४७।