पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/७४

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बँगला, गुजराती और मराठी बिना प्रयास के सीख ली है उसी तरह वे यदि पढ़ने का परिश्रम न करें तब भी यों ही गाते गाते कलावंत बन सकते हैं। क्योंकि उर्दू को छोड़कर भारतवर्ष की समस्त भाषाओं में कम से कम चालीस प्रति सैकड़ा वे ही शब्द मिलते हैं जो सबमें एक तरह से अथवा थोड़ा बहुत रूप बदलकर बोले जाते हैं। इस तरह हिंदी के प्रचार से यदि दस बीस वर्ष में भारत को एक भापा हो सकती है तो उर्दू को कम से कम सौ वर्ष चाहिएँ क्योंकि वह बिना पढ़े आ नहीं सकती और उसकी लिपि से तो भग वान् नचावे।"

"मगर खत के बाबत तो मेरा सवाल ही नहीं है। जबान का मसला किसी आसान तरीके से हल होना चाहिए। अच्छा आप ही बतलाइए कैसे हम आए, कुल हिंदोशतत्व मुत्तफिक हो सकते है?"

"दोनों के झुकने से। दोनों ही के हठ छोड़ने से। आप फारसी को कठिन कठिन शब्दों का लाना छोड़ दें और हम लोग भी सरल करने का प्रयत्न करें।"

"बेशक सही है! वाकई सच है!" कहकर वकील साहब ने अपनी बहस पूरी की। और दोनों मान जो वहाँ बैठे हुए थे "हाँ हाँ!" करने लगे और रेनाल्ड का नावेल पटड़ा पर डालते हुए काले साहब ने भी यस "यश आलराइट" कहकर इन लोगों की बात का अनुमोदन किया। ऐसे इनके एक बाद-