पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(८६)


जो गालियाँ दें उन्हें बकने देना। इस प्रकार के ठहराव के सिवाय दो तीन बातों को इन्होंने और भी ताकीद कर दी है "कभी पास जोखिम लेकर न फिरना, रात बिरात अकेले न फिरना और मकान, गली तथा मुहल्ले को अच्छी तरह याद रखना। अनजान आदमी का कभी भरोसा करना क्योंकि यहाँ के गुंडे धन के लोभ से रात बिरात अँधेरे उजेले छुरा चलाने तक नहीं हिचकते।"

यों हिंदुओं के घर घर में, प्रत्येक घर में, देवस्थान है। जिस घर में देव-प्रतिमा नहीं, जिसमें तुलसी नहीं, जिसमें गाय नहीं वह हिंदू का घर नहीं। इस कारण छोटे छोटे गाँवों से लेकर बड़े बड़े नगर तक काशी है, वृंदावन है किंतु काशी और वृंदावन में देव-मंदिरों का बाहुल्य है, यहाँ घर थोड़े हैं और मंदिर अधिक। यदि तलाश किया जाय तो इन नगरियों में कदाचित् लाखों में एकाध मिले ऐसा मिल सकता है जिसने वहाँ के सब मंदिरों में, समस्त तीर्थों में जा सौभाग्य प्राप्त किया हो। इस कारण इन्होंने "काशी माहात्म्य" अवलोकन कर वहाँ के मुख्य मुख्य देव- स्थानों की, मुख्य मुख्य तीर्थों को, चुनकर अपनी यात्रा का प्रोग्राम तैयार किया।

इस प्रोग्राम में जो स्थान काशी की पंचकोशी यात्रा में आए उनके लिखने से तो कुछ प्रयोजन ही नहीं और उनमें जो विशेष विशेष थे वे भी समय समय पर आही जायँगे।