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भारत में अंगरेज़ी राज

१२२० भारत में अंगरेजी राज जेवरों की कीमत १५ लाख रुपए थी । मीर करसमती की गों ने यह दृश्य देख कर-साहय से कहला भेजा के श्राप हमें पालकियां दिलवा - दीजिए और केवल बदलने के लिए तीन तीन जोड़ी कपड़े टूर एक के साथ देकर हमें शहर से निकल जाने .दीजिये ।-साहब ने इनकार कर दिया मुन्नी अली अकबर के साथ वह बरदस्ती ज़मानख़ाने में घुस गया, वह पर स्त्रियों के जितने ज़ेवरजवाहरात, सोने चांदी के बरसन और कपड़े इत्यादि मिले उसने सब लूट लियेऔर जो तेवर स्त्रियां अपनी कमर के नीचे औौर पैरों पर पहने हुई थीं उन तक को उसने खींच कर उतार लिया । प्रभागी सियाँ भय और लज्जा के मारे नगर से भाग कर पैदल हैदराबाद से पाँच कोस दूर कहतर पहुँच गई । र-—साहब और साहब और साहब ने अमीर मीर नूरमोहम्मद डूओं के जनानखाने में प्रवेश किया, और उन्हें इसी तरह लूटा, यहाँ तक कि वहाँ की चिय भी इसी प्रकार विवश होकर अपने घरों से भाग कर कुछ दिन बाद पैदल कहतर पहुँच गई। । २२ फरवरी सन् १८४३ को अमर मीर मोहम्मद शर्थों को क्रिले से लाकर . अंगरेनी कैम्प में कैद कर दिया गया, उसके ज़माननाने में भी इसी प्रकार में ज़बरदस्ती घुस कर उसे लूट लिया गया है इसके बाद मीर सोबदार की बेगों को लूटा गया, वे पैदल भाग कर होसरी चन्ती गई।—साहब ने मीर सोबदार के लड़के तहअली ख़ाँ से दो क्रीमती कड़े , जो दे। दिए गये । मीर सोवदार के ज़नामढ़ाने की एक स्त्री ने कुछ रुपये अपने कमरबन्द में बंध किए थे । भागते समय इनमें से कुछ रुपये गिर पड़े तुरन्त उस सी को पकड़ लिया गयाउसका कमरयद काट दिया गया, और रुपये उससे ले लिए गए हैं. इसके बाद एक एक ची को अलग से