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भारत में अंगरेज़ी राज

१२३४ भारत में अंगरेज़ी राज का प्रभ के समस्त नगर में यहाँ तक कि प्रत्येक मसजिद और मकबरे में और सिन्धु नदी के दोनों तटों पर बड़े जोर की रोशनी को जाती थी । ईस्टबिक लिखता है कि दिवाली की रात को भक्खर के किले का दृश्य अत्यन्त मनोरम होता था और चारों ओर जल में दीपक और लक्ष्मी की मूर्तियाँ तख़्तों के ऊपर बहती हुई दिखाई देती थीं ।' इस सब के विपरीत कम्पनी का शासन प्रारम्भ होते ही सिन्ध का सारा नक़्शा बदल गया। ‘जमीन को कम्पनी के पैदावार कम होने लगीजगह जगह खेती बन्द शासन हो गई, सैनिक शासन प्रारम्भ हो गया, हर श्रेणी के लोगों में असन्तोष फैल गया, जो लगान अमीर बिना किसी प्रयत्न के वसूल कर लेते थे, उसे बस्त करने में नए शासकों को कठिनाई होने लगी । । वड़े बड़े सन् कर्मचारियों की जगह अंगरेज़ अफ़सर नियुक्त कर दिए गए। जनरल नेपियर सिन्ध का पहला दशा और गबरनर हुआ। ईस्टविक लिखता है कि लूट का दौर . “चारों ओर दगाबाज़ी और लूट शुरू हो गई ।। । प्रजा के जान माल की कोई हिफ़ाजत न रही। लगन की पद्धति है अत्यन्त बिगड़ गई । किसान के ऊपर भार इतना बढ़ा दिया गया .

  • Drgy ::ake Yora or Eg594, . 89.

f Ibid, 2. 71.

" Then began a system of universal fraud and peculation, "-Dry

Laks cिt Young Egy94, p, 306.