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भारत में अंगरेज़ी राज

१२५६ - भारत में अंगरेजी राज के एलेम की हार्दिक इच्छा यह भी थी कि यदि हो सके तो दिल्ली के नगर और किले पर कब्ज़ा करके उसे एलेनषु की दिल्ली ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया जाय। किन्त पर क़ब्ज़ा करने की इच्छा ब्यूक ऑफ़ बेलिहटन ने अपने २७ सितम्बर सन् १८४२ के पत्र में उसे आगाह कर दिया कि मुग़ल सम्राट और उसके कुल के मन में इससे अधिक हस्तक्षेप करना अंगरेजी राज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस पत्र के उत्तर में १८ दिसम्बर सन् १८४२ को लॉर्ड एलेनबु ने यूक ऑफ़ वेलिफेंटन को लिखा

  • x मैं पहले ही श्रापके समान इस नतीजे को पहुँच चुका था।

कि कोई ऐसा काम करना जिससे यह मालूम हो कि हम चूहे सम्राट के साथ आध्याचार कर रहे हैं, उचित न होगा । यह सम्भव है कि मेरा उत्तराधिकारी सम्राट के उत्तराधिकारी के साथ कोई ऐसा समौता कर सके जिससे दिल्ली का क्रिया हमारे हाों में आ जाय । साम्राज्य की पुरानी राजधानी का हमारे हार्षों में होना और हमारा वहीं से बैठ कर शासन चलाना मु सद से एक बहुत बड़ा लघय प्रतीत हुआ है ।'s केवल ढाई साल गबरनर जनरल रहने के बाद १ अगस्त सन / • । , . . I had already come to your conclusion that it would be au unedvisable step to do anything thaving the appearance of violence towards the old King With lhis successor, my successor may be able to make some arrangement for the transfer to us of the citade: To have in our hands the ancient seat of Empire, and to administer the Government from it, hns ever seermed to me to be a very great object."-Elenboroug to th Duke of Wellington, December, 18, 1842.