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भारत में अंगरेज़ी राज

१२७० भारत में अंगरेजी राज । बहाना हाथ न आ रहा था । अब हार्डि ने लालसिंह और तेज सिंह पर ज़ोर दिया कि जिस तरह हो सकेसिख सेना को भड़का | कर उससे अंगरेज़ी इलां पर फौरन् हमला करा दिया जाय ताकि अंगरेज़ों को युद्ध छेड़ने का बहाना मिल सके। सिखों को भड़काने के लिए सेना में अनेक गुप्तचर नियुक्क किए गए। अन्त में देशघातक लातसिंह और तेजसिंह ने कुछ सिख सेना को भड़का कर उससे अंगरेजी सरहद पर हमला करवा दिया। कप्तान कनिषम इस विषय में लिखता है- 'यदि सित्र सेना के चतुर पश्चों की अंगरेजों की सैनिक तैयारियों दिखाई न दे गई होतीं तो वे लालसिंह और तेजसिंह जैसे धनोत मनुष्यों के कपटपूर्ण भड़काने की और कुछ भी ध्यान न देतेसिख सेना से सताने दे । देकर पूछा गया कि क्या तुम ख़ालसा राज की सीमाओं को कम होते हुए प्रौर लाहौर के मैदान पर दूरवर्ती यूरोप के बाशिन्दों का प्रस्ता होते हुए चुपचाप बैठे देखते रहोगे ? उन लोगों ने उत्तर दिया कि हम लोग गुरु गोविन्द के राज की समस्त प्रजा की रक्षा करने में अपने प्राण न्योछावर कर देंगे, और आगे बढ़ कर हमला करने वाों की सरहद के अन्दर उनसे युद्ध करेंगे। 2 इe ttHad he shreed committees of the armies observed no military preparations on the part of the English, they would not have beeded the insidious exhortations of such mercenary man as Lal Singh and Toj Singh, - - - the men were tauntingly asked whether they would quiety look om While the limits of the Khalsa dominion rere being educed, and the planes of Lahore occupied by the remote strangers of Europe, they answard that they would detend with their lives al belonging to the Commonwealth ot Govind, and that they iwould march and give battle to the invaders on their- own ground"--History of the Sits, by Cumminghamp, 299.