पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१२८७
दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध : १२८७ सावन मत का। योग्य शासन ' फ़िक्र में हैं। रेजिडेएट करी के समस्त व्यवहार से इस सन्देह को , ( अधिकाधिक पुष्टि मिलती गई । इस समय की पजाब की घटना में सबसे मुख्य मुलतान की घटना थी । यहाँ तक कि यह घटना ही दूसरे मुनसान की घटना सिख युद्ध का मुख्य कारण बताई जाती है । मुलतान का प्रान्त महाराजा रणजीतसिंह ने सन् १८१८ में अंपने साम्राज्य में शामिल किया था । दीवान सायनमल को लाहौर क्रवार की भोर से बहाँ का शासक नियुक्त किया गया था । मुलतान शान्त की आमदनी उस समय ३५ लाख रुपए वार्षिक थी, जिसमें से १७३ लाख बार्षिक साबनमल को लाहौर के खजाने में जमा कराने पड़ते थे । अपने प्रान्त के शेष समस्त शासन प्रबन्ध में दोघाम साबनमल पूर्णरूप से स्वतन्त्र था 1 कम्पनी की सरकारी रिपोर्टों में दर्ज है कि दीवान साघनमल के सुयोग्य शासन में मुलतान की भौतिक और आर्थिक स्थिति में बहुत बड़ी उन्नति हुई। उसने कई महमें खुदाई, बहुत से घबर इलाके को ज़रबूज़ बना दिया, कृषि, व्यापार और कारीगरी को खूब उन्नति दी, यहाँ तक की आस पास के इलाकों से अनेक लोग घा घाकर मुलतान प्रान्त में बसने लगे हैं और उस प्रान्त का वैभव दिनों दिन बढ़ता चला गया। सावनमल की मृत्यु के बाद उसका बेटा सूरा मुलतान का शासक हुआ । देशद्रोही लालसिंह उस समय दीवान युवरात्र - बालक दलीपसिंह की ओर से लाहौर दयार ज