पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२१२

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दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध १२६३ महारानी के साथ इस प्रकार के व्यवहार को देखते ही समस्त खिक जाति में एक ग्राग सी लग गई । १५ मई को महारानी को कैद किया गया 1 २५ मई को रेज़िडेण्ट करी ने गघरनर जनरल को लिखा कि महारानी की। खालसा सेना महारानी की गिरफ्तारी की खबर गिरफ़्तारी सुनते ही भड़क उठी, सिख सिपाही चिल्लाने लगे कि ‘महारानी फिन्दाँ कर हमसे जुदा कर दी गई, यातक दलीपसिंह अंगरेजों के हाथों में है, अब हम किसके लिए लड़े और किसके भाड़े के नीचे जमा हॉ !' समस्त सिख जाति आय दीवान मूलराज और उसक विद्रोही सिपाहियों के साथ सहानुभूति अनुभव करने लगी। लाहौर के सिख सरदार भी इस अत्याचार को देख कर शोध और दुख से भर गए 1 लाहौर कौन्सिल के सिखों प्रमुख सदस्य राजा शेरसिंह ने समस्त पश्ताव में में आंसतोष एक प्रस्तान प्रकाशित किया, जिस शुरू में लिखा था पाय के तमाम याशिन्दों को, तमाम सिखों को, गौर वास्तव में ' तमाम दुनियां को अच्छी तरह मालूम है कि फ़िरहियों ने स्वर्गवासी महान । महाराजा रणजीत सिंह की विधवा महानी के साथ कितने डएम, यादती और बेजा ज़बरदस्ती का व्यवहार किया है । ‘‘लोगों की माता महारानी को कुंद करके घर हिन्दोस्तान भेज कर फिरनियों ने सन्धि को तोड़ डाला है, इयादि ’