पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३३४

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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरखी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ १४११ चुन कर मारा गया फिर भी एक भी अंगरेज स्त्री का अपमान, •क्रान्तिकारियों की ओर से नहीं किया गया । इसके प्रमाण में दम केवल कम्पनी की खुफिया पुलिस के प्रधान अफ़सर नामग्युल पर विलियम म्योर के० सी० एस० आई० का बयान नोचे देते हैं । बह लिखता है कि- 'चाहे और कितना भी शुरग्राचार ऑीर रक्तपात क्यों न हुघा ा, जो जिससे अंगरे स्वि की इतती के फैज़ गए थे वे सय, जह तक मैंने देना और जाँच की, यिल कुल निराधार थे ।। s दिल्ली की स्वाधीनता की ख़बर बिजली की तरह सारे देश में फैल गई । अनेक स्थानों के नेता यह निश्चय न अलीगढ़ की हमें यहाँ क्रान्ति शुरू कर पाए कि अपने तुरन्त स्वाधीनता कर देना चाहिए या नियत तिथि का इन्तजार करना चाहिएफिर भी ११ मई से लेकर ३१ मई तक समस्त उत्तरी भारत में जगह जगह क्रान्ति की ज्वाला भड़क उठी। कम्पनी की 8 नम्बर पैदल पलटम अलोगढ़मैनपुरीइटावा और बुलन्धशहर में बँटी हुई थी। मई के शुरू में एक ब्राह्मण प्रचारक बुलन्दशहर की छावनी में सिपाहियों को क्रान्ति का उपदेश देने के

  • लिए पहुंचा 1 पलटन के तीन सिपाहियों ने मुखबिरी करके उस

ब्राह्मण को पकड़ा दिया । पलटन का मुख्य स्थान अलीगढ़ था; - -- --- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -

  • " lowever much of crtelty and bloodshed there was, lhe tales which

gained currency of dishonour to iadies vere, so far as my bservation and enquiries rent, devoid of any satistactor proot. "--Hon Sir r m AMuir. K C. S. 1., Head of the Intelligence Dept.