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भारत में अंगरेज़ी राज

१४१४ भारत में अंगरेजी राज नेता दिल्ली सम्राट के नाम पर नगर के शासन का प्रबन्ध करके, ख़ज़ाना, हथियार और कई हज़ार सिपाहियों को साथ लेकर दिल्ली की ओर चल दिए। रुहेलखण्ड का प्रान्त कुछ दिन पूर्व ही रुहेला पठानों के स्वाधीन शासन में रह चुका था। बरेली वहाँ की रुहेलखण्ड का । राजधानी थी । अन्तिम रुहेला नबाब का वंशज नेता ख़ानबहादुर ख़ानबहादुर खाँ इस समय कम्पनी के अधीन जजी के पद पर नियुक्त था। यह खानबहादुर खाँ ही रुहेलखण्ड में क्रान्ति का मुख्य नेता था। वरेली में कम्पनी की ओर से 5 नम्बर देशी सवार, १८ और ६८ नम्बर पैदल पलटनें और कुछ तोपखाना रुहेलखण्ड की की रहता था। जनरल सिवल्ड वहाँ का सेनापति पल्टनों से था । मेरठ की क्रान्ति की ख़बर १४ मई को अपीता बरेली पहुंची। मेरठ की क्रान्ति के बाद ही अंगरे कमाण्डरइन-चीफ ने हिन्दोस्तान भर की सेनाओं में इस बात का एलान करा दिया था कि नये कारतूस बन्द कर दिए गए है और सब सिपाही पुराने कारतूसों का हो उपयोग करें, किन्तु क्रान्ति पर इसका अब कोई असर न हो सकता था । देहली से निम्नलिखित पत्र रुहेलखण्ड की पलटन के नाम पहुंचा “दिल्ली की सेना के सेनापति की भोर से बरेली और मुरदाबाद की पलटन के सेनापतियों के नाम, हार्दिक आस्लिइग्न ! भाइयो : दिल्ली में अंगरेजों के साथ जब्त हो रही है । ख़ुदा की दुआ से हमने अंगरेजों को जो 4 में