पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३४८

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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरबो के कार तृस और क्रान्ति का प्रारम्भ ५४२४ मैदान में पहुँचते ही उनके साथ मिल गए।दोन पलटनों के जधिकांश - अफसर मारे गए । अंगरेजों के बंगलों को श्राग लगा दी गई । सिख पलटन इस समय जिले के अन्दर थी। यदि किले के। सिख उस समय विप्लवकारियों का साथ दे जाते यदि वित्र क्रान्तिकारियों का तो ग्राध एटे के अन्दर इलाहाबाद का किरता से देते और उसके अन्दर का तमाम सामान बिप्स कारियों के हाथों में या जाता। किन्तु टीम उस संकट के समय खिों ने अंगरेजों का साथ दिया। अंगरेजी झण्डा इलाहाबाद के किले पर फहराता रहा । सथ - - शहर के लोगों ने घितबकारी सिपाहियों का पूरा साथ दिया । अंगरेजों क के सघ मकान जला दिए गए। कोतवाली के ऊपर लखने के फ़ैदी रिहा कर दिए गय। खजाने स्वाधीनता का। पर कब्ज़ा कर लिया गया, रेल और तार तोड़ डाले गए । इलाहाबाद के जाने में फ्रान्ति कारियों को करीब तीस लाख रुपए मिले 1 ७ तारीख की शाम को शहर और छावनी में हरे झण्डे का जुलूस निकाला गया नगर नियादियाँ और सिपाहियों ने झण्डे को सलामी दी । शहर की

कोतवाली के ऊपर का झण्डा फहराने गा 1

इलाहाबाद के पास पास के सैकड़ों गाँव में हिन्दू और मुसलमान रैयत और जमींदार सब ने मिल कर अंगरेजी हरे झण्डे का गr के ख़ास्मे का एलान कर दिया और जुलूस इलाहाबाद के समान एक एक गाँव के ऊपर