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१४३०
भारत में अंगरेज़ी राज

१४३०. भारत में अंगरेजी रा और पशुओं समेत गाँव को आग लगा दी जाती थी । अनेक अंगरेज़ अफसरों ने बड़े गर्व के साथ इन ट्य विदारक बृश्यों से को अपने पत्र में बयान किया है । आग इतनी होशियारी से लगाई जाती थी कि एक भी गाँव बाता न बच सके। चार्ज बॉल लिखता है कि माताएँ अपने दुधमुंहे बच्चों समेत और अगणित बूढ़े पुरुष और स्त्रियाँ जो अपनी जगह से हिल न सकते , घिलौनों के अन्दर जला कर खाक कर दिए गए 18 एक अंगरेज़ अपने एक पत्र में लिखता है--‘हमने एक बड़े गाँव को आग लगाई जिसमें लोग भरे हुए थे। भागने वाले हमने उन्हें घेर लिया और जब वे आग की गोलियों के लपटों में से निकल कर भागने लगे तो हमने शिकार उन्हें गोलियों से उड़ा दिया ! अनेक स्थानों पर विवकारियों ने अंगरेज़ मईंऔरत और बच्चों की जानें बख़्श दीं । असंख्य ग्रामों में लोगों प्रतिकार की ने भागे हुए अंगरेजों को अपने घरों में आश्रय पहली बाढ़ दिया । किन्तु कम्पनी के पूरे इतिहास में अंगरे क़ौम के अन्दर बीरोचित गुणों का सदा अभाव ही मिला है। जनरल नीन की सेना ने भी दोपोनिॉयवांल, , या ली । पुरुष का कोई ख़याल नहीं किया ।

  • Charles Bal's Indian , vol. , pp, 243-44.

+ " we set fire t k large village which was fult of them, We surround ed themand when they came rushing out of the names, we shot them !" Charles Ball's ludian Matityvol. i, pp, 243-44.