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भारत में अंगरेज़ी राज

१५४६ भारत में अंगरेजी राज ' रेज़िडेन्सी के ऊपर हमले करने शुरू किए । कई दिन तक दोनों ओर से खूब गोलेवारी होती रही। कई बार रेज़िडेन्सी के ऊपर का। अंगरेज़ी झण्डा टूट कर गिर पड़ाकिन्तु हर बार नया झण्डा उसकी जगह लगा दिया गया । रेज़िडेन्सी के अन्दर सिख सिपाही 'अंगरेजों की जी तोड़ सहायता कर रहे थे। बाहर के भारतीय सैनिकों ने सिखों को अनेक बार समझा कर अपनी ओर करने का प्रयत्न किया, किन्तु व्यर्थ। इन्हीं संग्रामों में एक दिन अवध का मुइज़ चीफ कमिश्नर सर हेनरी लॉरेन्स, जो पक्षब के चीफ कमिश्नर सर जॉन लॉरेन्स का भाई था, क्रान्तिकारियों की गोली का शिकार हुआ । मेजर इस ने तुरन्त उसका स्थान ग्रहण किया। चन्द दिन के बाद मेजर इंस को भी एक गोली लगी और वह भी ख़त्म हो गयाब्रिगे

डियर अझलिस ने अब उसका स्थान लिया। इसी बीच लिखा है।

कि क्रान्तिकारियों ने रेज़िडेन्ली की दीवार के कई हिस्से उड़ा दिए। भीतर के कई मकान भी क्रान्तिकारियों के गोलों से गिर कर ढेर हो गए। रेजिडेन्सी के अन्दर के अंगरेजों की हालत ख़ासी नैराश्यपूर्ण थी। उन्होंने मदद के लिए बार बार अपने गुप्त दूत कानपुर भेजे जिनमें से कई दूत गिरफ्तार कर लिए गए 1 २५ जुलाई को ब्रिगे- डियर इङलिस को सूचना मिली कि जनरत हैवलॉक मदद के लिए कानपुर से रवाना हो चुका है और पाँच या से दिन के अन्दर लखनऊ पहुँच जायगा। किन्तु पाँच के दिन के बाद हैवलॉक के