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भारत में अंगरेज़ी राज

१५६६ सनसनी भारत में अंगरेज़ी रा इसी स्थान पर गिरफ्तार हुआ और फांसी पर चढ़ा दिया गया। चार्ल्स बाँल लिखता है कि फाँसी पर चढ़ते समय नादिर खाँ ने १ हिन्दोस्तान के लोगों को कसम दी कि तलवार ढंच कर और अंगरेज़ को बाहर निकाल कर अपनी स्वाधीनता को फिर से स्थापित करें ।’’ इसी समय के के निकट स्वयं दिल्ली के अन्दर फिर कुछ नई जान दिखाई देने लगी। अफवाह उड़ी कि नाना दिल्ली में फिर से साहब बहादुरशाद को खुद से भाज़ाद करने के इन" लिए दिल्ली आ रहा है । चाल्र्स बॉल लिखता । है कि इस पर बहादुरशाह के अंगरेज़ पहरेदारों को गुप्त प्राझायें दे दी गई कि यदि वास्तव में नाना दिल्ली के निकट पहुंचने लगे तो तुम लोग तुरन्त बूढ़े सम्राट को गोली से उड़ा देना नई दिल्ली से इलाहाबाद तक जमना के किनारे का प्रदेश प्रायः सब फिर से अंगरेजों के हाथों में आ चुका था। इसलिए कैम्पबेल के लिए अब रुहेलखण्ड और अवध को विजय करना बाकी था । लखनऊ ही । इस समय क्रान्ति का सबसे मुख्य केन्द्र था 1 २३ फ़रबरी सन् १८५८ को कैम्पबेल १७००० पैदल लखनऊ विजय के करीब ५,००० सवार और १३४ तोप सहित लिये विशाल अंगरेज़ी सैन्यदल कानपुर से लखनऊ की ओर बढ़ा । अंगरेज़ इतिहास लेखक लिखते हैं कि इतनी विशाल • Chares Ball's Indian Natiry, vol, t, p. 239.

  • Ibrd, wol. i, p, 184