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१५८४
भारत में अंगरेज़ी राज

१५८४ भारत में अंगरेजी राज कौशल पच्छिम की ओर से अब सेनापति लग एक दूसरी अंगरेजी सेना सहित लॉर्ड मार्क की सहायता के लिए कुंवरसिंह का युद्ध आजमगढ़ की ओर बढ़ा । कुंवरसिंह को इसका पता लग गया। कुंवरसिंह ने सब से पहले भाजमगढ़ छोड़ करग़ाज़ीपुर जाकर वहाँ से गझा पार कर जगदीश पुर पहुंचने और फिर से अपनी पैतृक रियासत विजय करने का इरादा किया । इसके लिए कुंवरसिंह ने एक सुन्दर चाल चली। गर्ल्ड की सेना तान्नू नदी के पुल पर से ग्रामगढ़ आने वाली थी । कुंवरसिंह ने अपनी सेना का एक दल उस पुल पर लगर्ड की सेना का मुक़ाबला करने के लिए भेज दिया। अपनी शेप सेना सहित कुंवरसिंह राज़ीपुर की ओर बढ़ा । यह छोटा सा सैन्यदल पुल के ऊपर वोरता के साथ लगर्ल्ड की सेना का मुक़ायता करता रहा । जब उसे पता लगा कि मुख्य सेना काफी दूर निकल गई वह धीरे धीरे पीछे हट कर उसे सेना से जा मिला 1 लगर्ड को कुंवरसिंह की इस चाल का पता न चल सका । इतिहास लेखक माँलेसन ने कुंवरसिंह की इस चाल और ता नदी के ऊपर लड़ने 2 वाले कुंवरसिंह के सिपाहियाँ की वीरता दोनों की खूब प्रशंसा की है । इसके बाद लगर्ल्ड की सेना ने बारह मील तक कुंवरसिंह का पीछा किया, किन्तु कुंवरसिंह हाथ न आ सका। इतने हो में ज़रा सा चक्कर देकर स्वयं कुंवरसिंह ने अचानक लगर्ड की लगर्ल्ड की सेना पर हमला किया । कम्पनी को पराजय और कई अफसर और अनेक सिपाही मारे