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१६३६
भारत में अंगरेज़ी राज

अवध का पतन १६३६ भारत में अंगरेज़ी राज दिया ? क्या ! श्राप फ़िरक्नी लोग यादशाह हैं, अंॉर हम इस अपने मुल्क के. , अन्दर चोर हैं ! इसके बाद कुछ पता नहीं कि नाना साहब का क्या हुआ। बेगम हजरतमहल और उसके पुत्र विरजीस क़दर को कुछ समय बाद नैपाल दरबार ने अपने यहाँ श्राश्रय दिया। अबध की इस क्रान्ति के विषय में इतिहास लेखक मॉलेसन लिखता है : जिस विश्लब को उन सिपाहियों ने प्रारम्भ किया। था, जिनमें से कि अधिकांश अवधनिबासी थे, उस विप्लव में समस्त अवध निवासियों ने शामिल होकर स्वाधीनता के लिए युद्ध किया हैं ४ x हिन्दोस्तान के किसी दूसरे भाग ने इतनी दृढ़ता के साथ डट कर और इतनी अधिक देर तक हमारा मुकाबला नहीं किया जितना कि अवध ने । इस समस युद्ध में उस अन्याय को याद करके जो अन्याय कि सन् १८१६ में उनके साथ किया गया था, अवधनिवासियों के हृदय अधिकाधिक मज़बूत और उनका सदस्य अधिकाधिक दृढ़ होता रहता था 1x अन्त में जय कमाण्डरइन-चीफ़ सर कॉलिन कैम्पबेल ( लॉर्ड अलाइड ) ने समस्त अवध में से बचे हुए विद्रोहियों को चीन बीन कर नेपाल के दाड़लों में आश्रय लेने के लिए विवश कर दिया तो इन लोगों ने प्रायः हार मानने की अपेक्षा भू मर जाना अधिक पसन्द किया 1 किसानों ने, तालुक्क़दारों ने, जमींदारों ने, व्यापारियों ने बहुत दिनों के लगातार युद्ध के बाद केवल उस समय हार स्वीकार की जब कि उन्होंने देख लिया कि अब सब कुछ हो चुका ।।a

  • Malleson's Indian , vol , v, p, 207.