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१६३८
भारत में अंगरेज़ी राज

१६३८ भारत में अंगरेजी राज उसका पीछा किया ताया अंगरेज़ी सेना से आंख बचाकर ठक पहुँच गया । टोंक के नवाब ने नगर के दरवाज़े बन्द कर लिए और अपनी कुछ सेना चार तोपों सहित तात्या के मुकाबले के लिए भेजी। यह सेना सामने आते हो तात्या से जा मिली 1 उन्होंने अपनी तोप तात्या के हवाले कर दीं । तात्या टोपे नई सेना और सामान सहित श्र इन्द्रगढ़ की ओर बढ़ा । बर्षा ज़ोरों से हो रही थी। पीछे से होम्स अपनी सेना सहित तात्या की और बढ़ा चला ग्रा रहा था । राजपूताने की जोर से सेनापति रॉबर्ट्स के अधीन एक सेना तात्या पर हमला करने के लिए आ रही थी। चम्बल नदी तात्या के सामने थी और खूब चढ़ी हुई थी। तात्या तीनों से बच कर पूर्वोत्तर में घंटी की ओर बढ़ा। नीमच नसीराबाद के प्रान्त में वह भीलवाड़ा नामक ग्राम में जाकर ठहरा । जनरल रॉव ने ख़बर पाते ही ७ अगस्त सन् १८५८ को तात्या पर हमला किया। दिन भर संग्राम होता रहा। रात को ने ) तात्या अपनी सेना और तोपों सहित उदयपुर रियासत में कोटरा ग्राम की ओर निकल गया। कोटरा में १४ अगस्त को फिर अंगरेजी सेना ने उसे आ घेरा। संग्राम हुआ, किन्तु इस बार तात्या को अपनी फोटरा का संग्राम तोपें मैदान में छोड़ कर पीछे हटना पड़ा। अंगरेज़ी सेना बराबर तात्या का पीड़ा करती रही। तांत्या फिर चम्बल की ओर बढ़ा 1इस समय एक अंगरेजी सेना पीछे से तांत्या की ओर बढ़ी चली आ रही थी, दूसरी दाहिनी ओर से बढ़ी चली