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भारत में अंगरेज़ी राज

१५० भारत में अंगरेजी राज अंगरेज़ शासकों के लिए भारत को फिर से विजय कर सकना सर्वथा असम्भव होता। दूसरा कारण यह था कि सिखों औौर गोरखों ने अंगरेज़ की । सहायता करके उनके लिए दिल्ली और लखनऊ अंगरेजों को सिखों को जैसे केन्द्रों फिर से विजय कर सकना और में गोरख की सम्भव बना दिया। इस विषय पचाव के चीफ कमिश्नर सर जॉन लॉरेन्स की स्पष्ट राय नकल की जा चुकी है । इसमें कुछ भी सन्देह नहीं कि यदि पटियाला, नाभा और औद ने ऐन समय पर अंगरेजों को मदद न दी होती तो दिल्ली का फिर से विजय हो सकना असम्भव था, और एक बार यदि दिल्ली की सेना विजय प्राप्त कर पूरब और दक्खिन में उतर आती तो सन् 19 की क्रान्ति का बाद का सारा सहायता । नफ़शा बदल जाता । । क्रान्तिकारियों की सहूठन खुन्दर और प्रशंसनीय थाt, फिर भी कम से कम लाखों भारतवासी अपने देशवासियों : - का भारतवासियों के विरुद्ध तरह तरह से अंगरेजों को सहायता दे 1 से सहयोग रहे थे । रपत्र लिखता है- फिर भी हमें यह स्वीकार करना पड़ता है कि श्रृंगरेज़ चाहे कितने भी हैं । बहादुर क्यों न हों, यदि समस्त भारतवासी पूरी तरह हमारे विरुद्ध हो जाते तो भारत में अंगरेजों का निशान सक कहीं बाकी न रह जाता । हमारे द्वितों के भीतर की सेनाओं ने जिस तरह जी तोड़ कर अपने स्थानों की रक्षा की, | ? वह निस्सन्देह वीरोचित था। किन्तु इस वीरता में भारतवासी शामिल थे, | ड