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भारत में अंगरेज़ी राज

१६८६ भारत में अंगरेजी राज के . भारत के पहाड़ी प्रदेशों पर अंगरेज किसानों और मजदूरों को आबाद कर दिया जाय और भारत के मैदानों में इस तरह के अंगरेज पूंजीपतियों को बसाया जाय जो अपने अधीन हिन्दोस्तानी किसानों और मजदूरों से काम ले सकें । इससे बढ़ कर कुछ लोगों की राय यहाँ तक थी कि एलजीरिया (उत्तर अफ्रीका ) के समान समस्त हिन्दोस्तान में अंगरेज पूंजीपतियों से लेकर अंगरेज किसानों और मजदूरों तक को बसाया जावे । अंगरेजों को भारत में जमींदारी करने के लिए अनेक तरह की सुविधाएँ दी जाने की सलाह भो हुई । हम ऊपर लिख चुके हैं कि ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत में अंगरेजों की बस्तियाँ बसाने के ख़िलाफ़ थी। यह बात कमेटी के सामने अनेक गवाहों ने अपने वयान में कही है। इन गवाहों में से हम केवल एक जे० जी० वॉलर का वयान नीचे उत करते हैं। उससे पूछा गया “भारत में यूरोपियों को बसने में नास नाल एतराज कौन से हो सकते हैं ? गवाह ने उत्तर दिया "मैं समझता हूं, मैं कई एतराज़ गिना चुका है किन्तु एक और एतराज़ इतने महरख का है कि मेरे लिए उसे छोड़ देना अपने विषय के साथ इन्साफ़ करना न होगा । मैं समझता हूं कि जो कम्पनी बतौर ए अमीन के बादशाह के नाम पर इस समय भारत पर शासन कर रही है, उसके हाथों से शासन का अधिकार ले लेना नितान्त आवश्यक है । यदि थऊरेज़ सरकार का वास्त