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१७०४
भारत में अंगरेज़ी राज

१७०४ भारत में अंगरेजो राज स्तान को खिराज है। सन् १८३४ से १८५१ तक १७ साल के थे। अन्दर ५,७६,००,००० पाउण्ड यानी करीब ७५ करोड़ रुपए इस सद में भारत से इढ़लिस्तान भेजे गए । इस रक़म के बदले में भारत को कुछ भी प्राप्त न हुया औौर म भारत को इससे कोई लाभ हुआ। जो रमें हर साल अंगरेज़ व्यक्तियों ने अपने और अपने बुद्धस्वियों के लिए भारत से इङलिस्तान भेजीं, और जो विशाल धन इनलिस्तान के लोगों ने भारत के व्यापार से कमाया, उस सब का इस से कोई सम्बन्ध नहीं । इसके अलावा भारत से कमाए हुए धन में से ३६०,००००० पाउण्ड विविध अंगरेज़े का उस समय भारत सरकार के पास करने की शकल में जमा था। विप्लव के बाद का पिछले ८० साल का इतिहास इस पुस्तक के प्रस से बाहर है । किन्तु आजकल की अन्तिम शब्द । परिस्थिति में किसी भी देश का दूसरे देश पर शासन न उन उपायों के अलावा किसी दूसरे उपायों द्वारा कायम हो सकता है जिनका इस पुस्तक भर में जिक्र है, न किली दूसरे उपार्टी द्वारा जारी रखा जा सकता है और म उसके कोई दूसरे नतीजे हो सकते हैं। लॉर्ड मैकॉले ने सच कहा है । ‘मुझे विश्वास है कि सब प्रकार के अन्यायों में सय से बुरा अन्याय एक क़ौम का दूसरी क़ौम पर अन्याय करना है ।' 8

  • " of all forms of tyranny I believe the worst is that of a netion over

a nation."Lord Macaulay ,