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भारत में अंगरेज़ी राज

११८६ भारत में अंगरेजी राज कि कई अंगरेजों ने एलेन की इस काररवाई के विरुद्ध शोर मचाना शुरू कर दिया। लॉर्ड मैकॉले ने मैकॉले की की वक्तांता इंगलिस्तान की पार्लिमेण्ट देते में बक्तता । हुए कहा k

, "मुसलमानों की संख्या कम है, किन्तु उनका महत्व उनकी संख्या के

हिसाब से कहीं अधिक है, कारण यह है कि मुसलमान जाति संयुक्त, जोशीती, महरवाकांक्षी और प्रेमी है । जो मनुष्य हिन्दोस्तान युद्ध XXX के मुसलमानों के विषय में कुछ भी जानकारी रखता है उसे इसमें सन्देह नहीं हो सकता कि इस प्रकार उनके धर्म का अपमान करने से उनमें अस्थत भयढर क्रोध भड़क उठेगा । लॉर्ड एलेन३ पर यह इलजाम लगाया गया कि उसने मूर्ति पूजा का समर्थन करके ईसाई धर्म को कलकित अंगरे शासकों ‘किया। वास्तव में न लॉर्ड एलेन को हिन्दुओं की भारतीय नीति की मूर्ति पूजा से विशेष प्रम था और न लॉर्ड मैकॉले को मुसलमानों के धर्म से 1 किन्तु उस समय से ही भारत के हिन्दू और मुसलमानों को एक दूसरे से लड़ाए रखना अंगरेज शासकों क। भारतीय नीति का एक विशेष अझ रहा है । लॉर्ड मैकॉले जैसों के विरोध के कारण लॉर्ड एलेनषु की बात

  • " The Mohammedans are a minority, but their importance is much

more than proportioned to their number : for they re an united, a Bolousan ambitious, A NAr ike class. . . . . Nobody who knows anything of the Mohammedans of India can doubt that this afront to their faith wil exctte , ' "their fercest indigation"Lord Macaulay, March 1843,