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नायिका वर्णन

 

नायिका वर्णन
दोहा

नायक नर्म सचिव कहे, यह विधि सब कविराइ।
अब बरनत हौ नायका, लक्षण भेद सुभाइ॥
तीनि भाँति कहि नाइका, प्रथम स्वकीया होइ।
परकीया सामान्या, कहत सुकवि सब कोइ॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—नायक और नर्म सचिव के भेद कहे जा चुके। अब नायिकाओं का वर्णन किया जाता है। नायिकाओं के मुख्य तीन भेद हैं। स्वकीया, परकीया और सामान्या।

१–स्वकीया
दोहा

जाके तन मन वचन करि, निज नायक सों प्रीति।
बिमुख सदा पर पुरुष सों, सो स्वकिया की रीति॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—तन, मन, वचन से केवल अपने पति से प्रेम कर अन्य पुरुषों से बिमुख रहनेवाली स्वकीया कहलाती है।

उदाहरण
सवैया

कविदेव हरे बिछियानु बजाइ, लजाइ रहे पग डोलनि पै।
गुरु डीठि बचाइ लचाइ कै लोचन, सोचनि सों मुख खोलनि पै॥