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पृष्ठ:भाव-विलास.djvu/११५

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नायिका वर्णन

 

शब्दार्थ—चितवै–देखे। बपु–शरीर। बिसूरि–भूलकर। धूरि मैं–धूल मैं।

२–नववधू
सवैया

गोकुल गांव की गोपसुता, कविदेवन केतिक कौतिक ठाने।
खेलत मोही पै नंदकुमार री, बार हि बार बड़ाई बखाने॥
मोरिये छाती छुवें छिपि के, मुख चूमि कहै कोई और न लाने।
काहे तें माई कछू दिन ते, मन मोहन को मनमोहीं सों माने॥

शब्दार्थ—कौतिक–कौतुक, खेल। बड़ाई–तारीफ़। छुवें–छुएं। लाने–उपाय। मनमोहन...माने–मनमोहन का मन मुझी से लगता है।

३–नवयौवना
सवैया

जानति ना बहु कौ बड़ भाग, बिरंच रच्यौ रसिकाई बसी है।
देव कहैं नवबेस बसन्त, लता फल जाके नवक्षत दीहै॥
मेटि वियोग समैटि सबै सुख, सो भरि भेंटि भटू जुग जीहै।
या भुख सुद्ध सुधाधर तें, अधरा रसधार सुधार से पीहै॥

शब्दार्थ—विरंचि–ब्रह्म। नवबेस–नयी उम्र। सुधाधर–चन्द्रमा।

४–नवल अनङ्गा

कालि परों लगि खेलत ही, कबहूं न कहूं यह घूंघट काढ्यो।
आजु ही भौंह मरोरि चली, तनु तोरि जनावत जोबन गाढ्यो॥