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भाव-विलास

 

९—वक्रोक्ति
दोहा

काकु बचन अश्लेष करि, और अरथ ह्वै जाइ।
सो बक्रोक्ति सु बरनियें, उत्तम काव्य सुभाइ॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—किसी के द्वारा कही हुई बात का सुनने वाला जहाँ ध्वनि विशेष से अर्थ लगा लेता है वहाँ वक्रोक्ति अलङ्कार होता है।

उदाहरण
सवैया

मति कोप करै पति सो कबहूँ, मति को पकरै पतिसो निबहैं।
कबि देव न मानबधूरत हैं, सब भाखत आन बधूरत है॥
अब लौं न कहूँ अबलोकि तुम्हैं, अब लोक तुम्हैं सुख देत रहैं।
किनि नाम कहौ हमसो तिन कौ, हम सौतिन कौ किहिमांति कहै॥

शब्दार्थ—मति कोप करै—क्रोध मत कर। मति को पकरै—बुद्धि को काम में लाने से। अबलोकि—देख कर। किनि—क्यो नही। हम सोतिनको—हमसें उनका। हम सौतिन कौं—हम सोतो से। किह...कहैं—किस तरह कहे।

१०—पर्यायोक्ति
दोहा

मन की कहे न ताल ये, बरने और प्रकार।
परजायोक्ति सुनाम जो, अलङ्कार निरधार॥

शब्दार्थ—सरल है।

भावार्थ—जब किसी बात को व्यङ्गपूर्वक स्पष्ट न कह कर, हेर फेर से कहा जाय तब पर्यायोक्ति अलंकार होता है।