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रस

 

उदाहरण तीसरा—(औपनायक)
सवैया

झूमक रैन जसोमति के, जुबतीन कौ आज समाज सिधायो।
स्याम कौ सुन्दर भेष बनाइ कै, आइ बधू इक बैन बजायो॥
हास में रास रच्यो कविदेव, विलास के ही में हुलास बढ़ायो।
नाचत वाहि सखी सबही के, हिए सुखसिन्धु-कौ पार न पायो॥

शब्दार्थ—झूमक—एक तरह का नृत्य और गान। जुवतीन कौ—युवतियों का। हुलास—आनन्द। हिए... ...पार न पायो—हृदय में सुख का अपार समुद्र उमड़ आया।

लौकिक रस
दोहा

कहत सु लौकिक त्रिबिधि बिधि, यह बिधि बुधि बलसार।
अब बरनत कविदेव कहि, लौकिक नव सुप्रकार॥

शब्दार्थ—त्रिबिधि—तीन तरह के।

भावार्थ—इस प्रकार विद्वानों ने अलौकिक रस के तीन भेद बतलाये हैं। अब लौकिक रसों का वर्णन किया जाता है। ये कवियों ने नौ प्रकार के माने हैं।

छप्पय

प्रथम होइ सिंगार, दूसरौ हास्य सु जानौ।
तीजौ करुना कहौ, चतुरथौ रौद्र-सु मानौ।
वीर पाँचवो जानि, भयानक छठो बखानो।
सतयों कहि बीभत्सु, आठओं अद्भुत आनो॥