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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फैशन देवीके प्रति सम्मानके प्रमाणस्वरूप नैकटाईकी भी उपेक्षा नहीं की गई। उसका उल्लेख दूसरी सूचीमें है। उसका उपयोग करना न करना अपनी मर्जीपर है। यदि सस्ती नैकटाइयाँ खरीद लें, तो इसमें ज्यादा खर्च नहीं पड़ेगा।

छोटा कोट मुलाकात आदिके समय पहना जाता है। जहाजमें भी यदि आप पहले दर्जे के सैलूनमें यात्रा करें तो वह जरूरी है। जहाँतक हो सके, अपना जाकिट सूट ही पहनें ताकि छोटा कोट गन्दा न हो। इन पृष्ठोंके लेखकके पास सिर्फ एक ही छोटा कोट था। इस समय वह पाँच साल पुराना है, लेकिन अब भी वह इतना नया लगता है मानो कल ही खरीदा हो। उतारनेके फौरन बाद ही उसे अच्छी तरह ब्रुशसे साफ करें, तह लगाकर अपनी अलमारीमें रख दें तो वह कभी खराब नहीं होगा।

सूचीमें हजामतके सामानका उल्लेख किया गया है। आश्चर्य न करें। वहाँ आपको नाईका धन्धा नहीं करना है। पर दाढ़ी है तो उसे खुद बनाना पड़ेगा। यूरोपमें राजाओंको भी ऐसा करने में कोई संकोच नहीं होता। यदि बाल घने हों तो रोज दाढ़ी बनानी पड़ेगी। हर रोज नाईकी दयापर रहना और कमसे-कम २ पेंस खर्च करना तो एक मुसीबत है। उससे बचनेके लिए खुद दाढ़ी बनाना तो सीखना ही पड़ेगा। उसमें ज्यादा समय नहीं लगता। तीन-चार दिनतक उसमें थोड़ा वक्त लगायें तो सीखनेके लिए इतना काफी होगा। मैंने सिरके लिए तुर्की टोपीका जिक्र किया था। इससे बहुत आराम रहता है। लेकिन जिन्हें टोपी पहनकर कुछ परेशानी होती है या जो नहीं चाहते कि दूसरे लोगोंका ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो, उनके लिए मैंने इसके बाद दी जानेवाली दूसरी सूचीमें फेल्ट टोपीका जिक्र किया है।

दाँतोंके लिए सर्वोत्तम (डाक्टरी दृष्टिसे) परन्तु सबसे सस्ता मंजन खड़िया मिट्टी है। यह ६ पेंसमें ४ औंस खरीदी जा सकती है और इतनी मिट्टी महीनों चलेगी।

स्लीपर सिर्फ घरमें और जहाजपर ही पहनने चाहिए।

एक पोशाक इस सूचीमें बिलकुल छोड़ दी गई है। वह है ड्रेस सूट। इसकी बिलकुल जरूरत नहीं है। हालाँकि कई भारतीय ड्रेस सूट खरीद लेते हैं, तो भी इतना खर्च करना ठीक नहीं है। मैंने स्वयं सूट खरीद लिया था और इसका मुझे बहुत अफसोस है। मैंने उसे सिर्फ तीन-चार बार पहना। इंग्लैंडमें इस सूटपर किये गये अपने इस खर्चको मैं सबसे अधिक मूर्खतापूर्ण मानता हूँ। इस सूटको पार्टी आदिके लिए पहना जाता है। हम भारतीय छोटा कोट या पारसी कोट या हमारे पास हमारी कोई देसी पोशाक हो, उसे पहन सकते है। मैंने कई भारतीयोंको छोटा कोट पहने हुए देखा है। उसमें कोई बुराई नहीं है। आपको साफ-सुथरा दिखना चाहिए, बस इतना ही काफी है।

इस सूचीमें घड़ीका उल्लेख नहीं किया गया, क्योंकि वह शिक्षित भारतीयोंके रोजमर्राके उपयोगकी चीज' बन गई है।

दूसरी सूची चौथे अध्यायमें दी गई है। उसमें उन चीजोंका ब्योरा है जिन्हें इंग्लैंडमें खरीदना होगा। उससे ज्यादा सामान किसीको भी नहीं खरीदना चाहिए,