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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बंधमें कुछ दिलचस्प तथ्य परिशिष्टमें दिये गये हैं।' यदि कोई कट्टर भारतीय किसी यूरोपीय द्वारा बनाये गये भोजनको न खाना चाहे तो भारतीय भागमें वह अपना खाना स्वयं पका सकता है; वहाँ उसे खाना बनाने के लिए स्थान दे दिया जायेगा। ऐसा करना उचित है या नहीं, यह एक दूसरी बात है। इसका उल्लेख सिर्फ इस प्रचलित भ्रान्तिको दूर करनेके लिए किया गया है कि यूरोपीयों द्वारा पकाया खाना लेनेके सिवा वहाँ कोई चारा नहीं है।

जहाजपर और इंग्लैंडमें शाकाहारी बने रहना सम्भव है या नहीं, इस बहु-चचित और महत्त्वपूर्ण प्रश्नको अलग अध्यायमें उठाया जायेगा। इस वक्त तो इतना ही कह देना काफी है कि मांस या शराब लेना बिलकुल जरूरी नहीं है; और शराब पीना तो हानिकारक ही है।

लन्दन पहुँचनेपर कहाँ जायें, यह दिक्कत सामने आती है। लन्दन मेमोरियल हाल, फेरिंगडन स्ट्रीटसे प्रकाशित होनेवाले 'वेजिटेरियन' समाचारपत्रके सम्पादकने कृपापूर्वक आवश्यक जानकारी देने और जहाँ सब-कुछ अच्छा और सस्ता मिल सकता है वहाँ निवासके लिए उचित स्थान खोज देना स्वीकार किया है। यहाँ मैं 'वेजिटेरियन' के सम्बन्धमें दो शब्द कहने की अनुमति चाहता हूँ। मुझे लगता है कि जो भारतीय अंग्रेजोंको शाकाहारी बनाना चाहते हैं, लन्दनमें इस समय चल रहे आन्दोलनसे जिन्हें सहानुभूति है, उन सबको इस पत्रका ग्राहक बन जाना चाहिए। उसे खास इसलिए न खरीदें कि उससे बुद्धिको कुछ सामग्री मिलती है, या उसमें कुछ जानकारी दी गई है या उसमें ऊँचे दर्जे के विचार दिये गये है, हालाँकि ये सब भी किसी तरह निम्न श्रेणीके नहीं है बल्कि उसे इसलिए खरीदें कि उससे एक ऐसे आन्दोलनको प्रोत्साहन मिलेगा जो हर भारतीयको प्रिय होना चाहिए। हम फिरसे अब मुख्य विषयको लें। लन्दन वेजिटेरियन सोसाइटीके सदस्य भारतीयोंका सदा बड़े स्नेहसे आदर-सत्कार करते हैं। और 'वेजिटेरियन' के सम्पादकसे ज्यादा मिलनसार व्यक्ति मिलना मुश्किल है। यदि इंग्लैंड जानेवाला हर भारतीय सम्पादकको अपने आने की सूचना दे दे तो इससे उसे बहुत लाभ होगा। मुझे शायद यह सुझाव भी देना चाहिए, हालाँकि इसमें सम्पादकका बिलकुल कोई हाथ नहीं कि ऐसा करनेवाले हर व्यक्तिके लिए उचित तो यही होगा कि वह सोसाइटीका सदस्य या पत्रका ग्राहक बन जाये।

यदि उपर्युक्त सुझाव ठीक न लगे या सुविधापूर्ण न हो तो चेरिंग क्रॉसके 'वेजिटेरियन' होटलमें जाकर टिकना सबसे अच्छा होगा, भले ही व्यक्ति शाकाहारी हो या मांसाहारी। पुस्तकके अन्तमें होटलोंकी सूची दी गई है, उसमें से कोई एक होटल चुन सकते हैं। परिशिष्ट में दिये गये स्थानोंकी दरें बिलकुल ठीक है। दूसरे होटल बहुत महंगे सिद्ध होंगे। जहाजसे उतरते ही भाड़ा-गाड़ी हमेशा मिल जाती है, जो आपको पता बतानेपर ठीक स्थानपर ले जायेगी। इतना समझ लेना चाहिए

१. आत्मकथा, भाग १, अध्याय १३ भी देखिए।