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पुस्तकें बिकाऊ हैं

तब क्या आप कह सकेंगे कि वह लेख 'बाइबिल' की शिक्षा या श्रेष्ठतम ब्रिटिश परम्पराओंके अनुकूल है? अगर आपने ईसा और ब्रिटिश परम्पराओं दोनोंसे बिलकुल नाता ही तोड़ लिया है तब तो मुझे कुछ कहना नहीं है; मैं खुशीसे अपनी लिखी हुई सब बातोंको वापस लेता हूँ। सिर्फ इतना कह दूं कि अगर कभी आपके बहुतसे अनुयायी हो गये तो वह ब्रिटेन और भारतके लिए अफसोसका दिन होगा।

आपका,
मो° क° गांधी

[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ नेटाल, २६-१०-१८९४

 

५१. पुस्तकें बिकाऊ हैं[१]

डर्बन
[२६ नवम्बर, १८९४ से पूर्व]

स्वर्गीया श्रीमती ऐना किंग्ज़फ़र्ड और श्री एडवर्ड मेटलैंड[२] कृत निम्नलिखित पुस्तकें प्रकाशित मूल्यपर बिकाऊ हैं। ये दक्षिण आफ्रिकामें पहली ही बार लाई गई हैं:

शि° पॅ°
परफैक्ट वे ७-६
क्लोक्ड विद द सन ७-६
स्टोरी ऑफ द न्यू गॉस्पेल ऑफ इंटरप्रिटेशन २-६[३]
न्यू गॉस्पेल ऑफ इंटरप्रिटेशन १-०
बाइबिल्स ओन एकाउंट ऑफ इटसेल्फ १-०

इन पुस्तकोंके सम्बन्धमें कुछ सम्मतियाँ निम्नलिखित हैं:

"परफैक्ट वे' भाष्यात्मक और समन्वयात्मक। . . .
पारमार्थिक विषयोंका कोई विद्यार्थी इसकी उपेक्षा नहीं कर सकता।"

'लाइट', लंदन।

"दैवी अनुग्रहके साधनके रूपमें शताब्दीकी तमाम पुस्तकोंमें अद्वितीय।"

—'ऑकल्ट वर्ल्ड'।

 
  1. १. यह एक विज्ञापनके रूपमें प्रकाशित हुआ था; देखिए "पत्र: भीमती ए° एम° लुईसको", ४-८-१८९४।
  2. २. एडवर्ड मेटलैंड (१८२४-९७): लेखक और अन्नाहारके समर्थक; १८९१ में एसटरिक क्रिश्चियन यूनियनकी स्थापना की।
  3. ३. बादके एक विज्ञापन में इसकी कीमत ३ शि° ६ पें° दी गई थी; देखिये "पुस्तकें बिकाऊ हैं", २-२-१८९५।