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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सरासर एक कठिनाई हो जायेगी । यह शर्त लगानेका मंशा तो कानून में कभी था हो नहीं, और न मुसलमानी रिवाजोंमें ही यह मंजूर-शुदा है।

आपका,

मो° क° गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल विटनेस २८-३-१८९५

 

५९. स्मरणपत्र: प्रिटोरिया-स्थित एजेंटको[१]

प्रिटोरिया
१६ अप्रैल, १८९५

सेवामें

श्रीमान् सर जेकब्स डी'वेट, के° सी° एम° जी°

एजेंट, सम्राज्ञी-सरकार, प्रिटोरिया

गणराज्यके ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंकी ओरसे समितिके रूपमें काम करनेवाले
प्रिटोरिया निवासी तैयबखाँ तथा अब्दुल गनी[२] और जोहानिसबर्ग
निवासी हाजी हबीब हाजी दादाका स्मरणपत्र।

हम श्रीमान् से सादर निवेदन करते हैं कि सम्राज्ञी सरकार और दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य सरकारके बीच भारतीय प्रश्नका जो पंच-फैसला हाल ही ब्लूमफॉन्टीन — ऑरेंज फ्री स्टेट — में किया गया है, उसके बारेमें यह तय करनेके लिए परमश्रेष्ठ उच्चायुक्त महोदय से लिखा-पढ़ी की जाये कि क्या सम्राज्ञी-सरकार उससे संतोष मान लेगी। श्रीमान् जानते ही हैं, पंचने फैसला किया है कि १८८५ का कानून[३] ३ जिस

 
  1. मुख्य उपनिवेश मन्त्रीके नाम दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य-स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्तके २९ अप्रैल, १८९५ के खरीता सं° २०४ का सहपत्र।
  2. जोहानिसबर्ग में मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन पेढ़ीके साझीदार और प्रबन्धक।
  3. ट्रान्सवालका एक कानून। इसके अनुसार "तथाकथित कुलियों, अरवों, मलाथियों, और तुर्की साम्राज्यके मुसलमान प्रजाजनों" को अधिक समयतक नागरिकताके अधिकार पानेके अयोग्य ठहरा दिया गया था। उन्हें गणराज्य में अचल सम्पत्ति खरीदने का भी अधिकार नहीं था। बाद में फोक्सरोंइके १८८७ के प्रस्तावके अनुसार 'कुलियों' को अपवाद रूप मान लिया गया और उन्हें जमीन-जायदाद खरीदने की इजाजत तो दी गई, परन्तु अस्वच्छताका बहाना बनाकर पद तय कर दिया गया कि वे निर्दिष्ट गलियों, मुहल्लों और पृथक बस्तियोंमें ही जमीन-जायदाद खरीद सकते हैं। १८९३ में फोक्सराडने एक और प्रस्ताव पास करके तय किया कि सब एशियाइयोंको पृथक बस्तियोंमें रहने और केवल वहीं व्यापार करनेके लिए बाध्य करना चाहिए। व्यापार करनेके लिए सरकारी दफ्तर में नाम दर्ज (रजिस्टर) करना और तीन पौंडका शुल्क अदा करना जरूरी कर दिया गया। यह कानून लन्दन समझौते के विरुद्ध माना गया था।