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स्मरणपत्र : प्रिटोरिया स्थित एजेंटको

रूपम फोक्सराङ[१] १८८६ के अधिनियमसे संशोधित हुआ है, इस सरकार द्वारा कार्यान्वित किया ही जाना चाहिए। उसने यह फैसला भी किया है कि जब कभी उक्त कानूनके आशयके बारेमें कोई झगड़ा उठे तो मतभेदका निर्णय गणराज्यका उच्च न्यायालय करे।

गणराज्य सरकारने पंचके सामने जो ग्रीन बुक्स[२] पेश की थीं उनमें से पुस्तक सं° २१८९४ के पृष्ठ ३१ और ३५ पर कुछ वक्तव्य दिये गये हैं। उनका आशय यह है कि उच्च न्यायालय के सामने पेश इस्माइल सुलेमान ऐंड कंपनीकी[३] कुछ अर्जियों पर निर्णय देते हुए मुख्य न्यायाधीशने कहा है कि जिन जगहों में व्यापार किया जाता है और जहाँ भारतीय निवास करते हैं उनमें कोई फर्क नहीं माना जा सकता। इन तथ्योंकी दृष्टिसे हम, उच्च न्यायालयकी मानहानि किये बिना, सादर निवेदन करते हैं कि यदि मुख्य न्यायाधीशके निर्णयसे सम्बन्ध रखनेवाला उपर्युक्त कथन सही है, तो तय है कि उपर्युक्त कानूनके मातहत जो भी मामला अदालतमें जायेगा उसका फैसला सम्राज्ञीकी गणराज्यवासी भारतीय प्रजाके विरुद्ध होगा। इस तरह, जो मामला समर्पण-पत्रके निर्देशोंके अनुसार पंचको सौंपा गया था उसका निर्णय उसने नहीं किया, बल्कि अमली तौरपर उसे गणराज्यके उच्च न्यायालयके निर्णयके लिए छोड़ दिया है। इसलिए हम आदरपूर्वक कहेंगे कि जहाँतक पंचको दिये गये निर्देशोंका सम्बन्ध है, उसने मामलेका निर्णय किया ही नहीं। अतएव श्रीमान् से हमारा सादर निवेदन है कि सम्राज्ञी-सरकारसे पत्र व्यवहार करके जाना जाये कि क्या वह उपर्युक्त निर्णयसे संतोष मानेगी और उसे स्वीकार कर लेगी।

तैयब हाजी खानमुहम्मद
अब्दुल गनी
हाजी हबीब हाजी दादा

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स सं° ४१७, खण्ड १४८।

 
  1. कभी-कभी संक्षिप्त रूपमें 'राड'; इस दक्षिण आफ्रिकी शब्दका अर्थ ट्रान्सवाल तथा ऑरेंज फ्री स्टेटमें राष्ट्रीय विधान-सभा है।
  2. विवरण पुस्तिकाएँ।
  3. यह एक ऐसा मामला था, जिसमें इस्माइल सुलेमान नामक एक अरब व्यापारीको, १८८८ में, पृथक् बस्तो छोड़कर अन्यत्र व्यापार करनेका परवाना देनेसे इनकार कर दिया गया था। जब ऑरेंज फ्री स्टेटके मुख्य न्यायाधीशको पंच नियुक्त किया गया, तो उन्होंने फैसला दिया कि दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यको इस सम्बन्धमें १८८५ के कानून ३ का, देशकी अदालतें जैसी व्याख्या कर दें उस रूपमें, अमल करानेका पूरा अधिकार है। बादमें ट्रान्सवालको सर्वोच्च अदालतने इस निर्णयको पलट दिया और फैसला किया कि सरकारको एशियाइयोंको परवाने न देनेका अधिकार नहीं है।