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८४. पत्र : सी° वॉल्शको

डर्बन
४ मार्च, १८९६

सी° वॉल्श
जुलूलैंड-सम्बन्धी कार्योंके स्थानापन्न सचिव
पीटरमैरित्सबर्ग

महोदय,

नोंदवेनी बस्तीके नियमोंके सम्बन्धमें मैंने जुलूलैंडके परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयको जो स्मरणपत्र[१] भेजा था उसके उत्तरमें आपका पिछली २७ तारीखका पत्र प्राप्त हुआ। इस पत्र द्वारा आपने सूचित किया है कि उपर्युक्त नियम एशोवे वस्तीके उन नियमोंकी नकल मात्र हैं, जो गवर्नर महोदय के पूर्वाधिकारीके समय प्रकाशित किये गये थे।

ऐसी स्थितिमें, मैं स्मरणपत्र दाताओंकी ओरसे गवर्नर महोदयसे अनुरोध करूँगा कि वे दोनों ही बस्तियोंके नियमों में ऐसा फेरफार या संशोधन करनेका आदेश दें, जिससे उनमें दाखिल रंग-भेद दूर हो जाये। किसी भी हालत में मैं यह निवेदन करनेकी स्वतन्त्रता लेता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकाके दूसरे हिस्सोंमें भारतीयोंके साम्पत्तिक अधिकारोंके बारेमें अनेक घटनाएँ इस समय घटित हो रही हैं, उनका विशेष रूपसे खयाल करते हुए नोंदवेनी में इन नियमोंको जारी करना इस आधारपर उचित नहीं ठहराया जा सकता कि ऐसे ही नियम एशोवेमें भी जारी हैं।

मेरा विचार है कि मेलमॉथ बस्तीके बारेमें ऐसे कोई नियम नहीं हैं।[२]

आपका,

मो° क° गांधी

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सं° ४२७, खण्ड २४

 
  1. देखिए "प्रार्थनापत्र : नेटालके गवर्नरको", २६-२-१८९६।
  2. अनुरोध ठुकरा दिया गया था; देखिए "पत्र : दादाभाई नौरोजीको", ७-३-१८९६।