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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


२८ जून : ५०० भारतीयोंके हस्ताक्षरोंसे विधानसभाको प्रार्थनापत्र दिया, जिसमें विधेयकका विरोध और एक जाँच आयोगकी नियुक्तिकी माँग की गई थी।
२९ जून : प्रधानमन्त्रीके पास शिष्टमण्डल ले गये और उनसे अनुरोध किया कि भारतीयोंके पक्षको अधिक विस्तारके साथ पेश करनेके लिए एक सप्ताहका समय दिया जाये।
१ जुलाई : फील्ड स्ट्रीटमें भारतीयोंकी सभा में शामिल हुए और भाषण दिया।
३ जुलाई : नेटालके गवर्नरके पास अपने नेतृत्वमें एक शिष्टमण्डल ले गये और उनसे अनुरोध किया कि मताधिकार विधेयकको, जिसका विधानसभामें तीसरा वाचन हो चुका था, स्वीकृति न दी जाये।
५ जुलाई : दादाभाई नौरोजीके साथ पत्र-व्यवहार आरम्भ किया। उनसे अनुरोध किया कि दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंका इंग्लैंडमें मामला पेश करें।
६ जुलाई : भारतीयोंने विधान परिषदको दूसरा प्रार्थनापत्र दिया और अनुरोध किया कि विधेयकको अस्वीकार कर दिया जाये ।
७ जुलाई : मताधिकार विधेयकका विधान परिषद में तीसरा वाचन।
१० जुलाई : गवर्नरको प्रार्थनापत्र दिया कि विधेयकको सम्राज्ञीकी अनुमतिके लिए तबतक ब्रिटिश सरकारके पास न भेजा जाये जबतक कि सम्राज्ञीके नाम भारतीयोंका प्रार्थनापत्र प्राप्त न हो जाये।
१७ जुलाई : उपनिवेश-मन्त्री लॉर्ड रिपनके नाम १०,००० भारतीयोंके हस्ताक्षरोंसे एक प्रार्थनापत्र नेटाल-गवर्नरके सुपुर्द किया।

सार्वजनिक काम करनेके लिए नेटालमें रह गये।

२२ अगस्त : रंगभेदके कानूनोंके खिलाफ लगातार आन्दोलन करनेके लिए नेटाल भारतीय कांग्रेसकी स्थापना की। उसके प्रथम मन्त्री नियुक्त। उपनिवेशमें जन्मे भारतीयोंका संघ भी बनाया।
३ सितम्बर : नेटाल वकील संघके विरोध के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नेटालकी अदालतोंमें वकालत करनेकी इजाजत मिली। अदालत में पगड़ी उतारनेको कहा गया। 'ज्यादा बड़ी लड़ाइयाँ लड़नेके लिए' शक्ति बचाने के इरादे से अदालतकी प्रथा मानना स्वीकार कर लिया।
१९ सितम्बर : गोपी महाराजके मुकदमेकी पैरवी की और उसमें जीत हुई। शायद यह दक्षिण आफ्रिकामें उनका पहला मुकदमा था।... परन्तु कानून-पेशेमें तरक्कीको सार्वजनिक कार्यके सामने गौण रखा।
२६ नवम्बर : एसॉटरिक ईसाई विचारधाराकी पुस्तकोंके एजेंट बने, जिससे व्यक्त हुआ कि उस विचारधारामें उनकी दिलचस्पी बढ़ रही है।
दिसम्बर (१९ ता° से पूर्व ) : नेटाल विधानमण्डल के सदस्योंके नाम 'खुली चिट्ठी' भेजी, जो उद्धरणों और प्रमाणोंसे पूर्ण थी।
१९ दिसम्बर : नेटालके यूरोपीयोंके नाम अपील निकाली कि वे भारतीय प्रवासियोंके प्रश्नोंपर सहानुभूतिके साथ विचार करें।